इम्फाल/ ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (एएमडब्ल्यूजेयू) के अध्यक्ष विजॉय ने गुरुवार को कहा कि म्यांमार के तीन मिज़िमा पत्रकारों ने अपना देश छोड़कर मणिपुर के मोरेह में शरण ली है। एएमडब्ल्यूजेयू ने कहा कि एक पत्रकार संस्था के रूप में वह म्यांमार में मीडिया और मीडिया के लोगों के बारे मे चिंतित है।
यूनियन ने मणिपुर की सरकार से अपील की कि तीनों पत्रकारों को सम्मान दिया जाए और उन्हें नयी दिल्ली स्थित शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त तक पहुंच सुरक्षा देनी चाहिए, जहां शरणार्थियों पर अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत शरणार्थी का आधिकारिक दर्जा देने की मांग कर सकते हैं।
मिज़िमा म्यांमार के स्थानीय लोगों का एक स्वतंत्र मीडिया संगठन है। मोरेह में शरण लेने वाले पत्रकार इस भय के माहौल में रह रहे है कि उन्हें फिर से वापस म्यांमार न भेजा जाए, साथ ही उन्हें भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा उत्पीड़न का भी डर सता रहा है।
उन्होंने कहा कि मिज़िमा का भारत से दोस्ताना है और वर्ष 2018 में समाचारों के आदान-प्रदान के लिए प्रसार भारती के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। यह पहला मौका था जब प्रसार भारती ने एक निजी मीडिया हाउस के साथ इस तरह का समझौता किया था।
म्यांमार में फरवरी में सैन्य तख्तापलट के बाद सेना ने सत्ता को अपने हाथ में ले लिया और मिज़िमा का लाइसेंस अपने कब्जे में ले लिया था, सेना ने उसके कई पत्रकारों को गिरफ्तार किया, यंगून स्थित उनके कार्यालय में छापा मारा और यहां तक कि उनके खाते जब्त कर लिए। कई मिजिमा पत्रकार हालांकि अभी भी खतरे के बावजूद रिपोर्टिंग कर रहे है लेकिन जो लोग भाग गए उनमें से तीन मणिपुर के मोरेह में शरण लिए हुए हैं। इससे पहले गृह मंत्रालय (नॉर्थ ईस्ट मंडल) नई दिल्ली ने पूर्वोत्तर राज्यों को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि म्यांमार की सीमा से अवैध प्रवासियों को यहां आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।