विश्व के कोने- कोने में बिखरे हिन्दी साहित्यकारों ( प्रेमियों ) को
एक मंच पर लाकर खड़ा करने की ख़्वाहिश लिये , वरिष्ठ साहित्यकार डा० श्रीमती
तारा सिंह ने 2004 ई० में लोकप्रिय हिन्दी वेबसाइट, http://www.swargvibha.in
की स्थापना की । स्वर्गविभा, हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु , उत्कृष्ट एवं
प्रगतिशील हिन्दी रचनाकारों को गत छ: वर्षों से 1500/- नगद, शाल, प्रतीक
चिह्न एवं प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित करती आ रही है ।
इसी महायज्ञ की समानान्तर कड़ी के रूप में इस वर्ष दूसरी बार स्वर्गविभा-तारा सम्मान/पुरस्कार ON LINE योजना प्रारम्भ की गई है । साहित्यकारों से अनुरोध है कि समाज की ज्वलन्त समस्या 'हम, हमारी आधुनिकता, और हमारे बुजुर्ग ’ पर अपना आलेख 31 दिसम्बर 2012 तक यूनिकोड में टंकित कर ’http://swargvibha.in/onlinecompetitions‘ पर पोस्ट (post ) करें ।
31 जनवरी 2013 तक, 'face book like button’ द्वारा सर्वाधिक प्रशंसित रचना को 1500/- नगद तथा द्वितीय स्थान प्राप्त रचना को 1100/- नगद राशि के साथ, प्रशस्ति-पत्र देकर, फ़रवरी -2013 में सम्मानित किया जायगा ।
स्वर्गविभा-तारा पुरस्कार ON LINE योजना—2012 (I), की घोषणा
स्वर्गविभा ( www.swargvibha.in ) टीम द्वारा उक्त योजना अन्तर्गत पुरस्कार हेतु निम्न प्रतिभागियों का चयन किया गया है -----
(I) स्वर्गविभा-तारा प्रथम पुरस्कार -2012
मंजु शर्मा (41 likes 658 views 4 replies) ,email : - mnjs64@gmail.com
को 1500/- रुपये नगद एवं प्रशस्ति-पत्र
(ii) स्वर्गविभा- तारा द्वितीय पुरस्कार—2012 -----
डाँ० दीप्ति परमार (33likes 2136views 0 replies), email—
dpgunatitanand@gmail.com
को 1100/-- रुपये नगद एवं प्रशस्ति-पत्र ।