तारकेश कुमार ओझा/ क्या पता जब न्यूज चैनल नहीं थे तब हमारे सेलिब्रिटीज जेल जाते थे या नहीं... लेकिन हाल - फिलहाल उनसे जुड़ी तमाम अपडेट सूचनाएं लगातार मिलती रहती है। जब भी कोई सेलेब्रिटीज जेल जाता है तो मेरी निगाह उस पहले समाचार पर टिक जाती है जिसमें बताया जाता है कि फलां अ…
Blog posts : "व्यंग्य"
मैं नहीं चम्मच चुरायो
दिनेश चौधरी/ अनुप्रास के उदाहरण के रूप में हम सब अपने बचपन से 'चाँदी के चम्मच से चटनी चटाई' पढ़ते आ रहे थे। अब चूंकि दसों दिशाओं में पतन का जोर है तो इसे 'चटनी चखते चाँदी की चम्मच चुराई' के रूप में पढ़ा जा सकता है। काम भले ही बुरा हो, अनुप्रास तो बढ़िया सधता है। यह कलाकर्म वाला मामल…
सुबह लाठी, शाम चपाती ...!!
तारकेश कुमार ओझा/ न्यूज चैनलों पर चलने वाले खबरों के ज्वार - भाटे से अक्सर ऐसी - ऐसी जानकारी ज्ञान के मोती की तरह किनारे लगते रहती हैं जिससे कम समझ वालों का नॉलेज बैंक लगातार मजबूत होता जाता है। अभी हाल में एक महत्वपूर्ण सूचना से अवगत होने का अवसर मिला कि देश के एक बड़े र…
यह मैने नहीं मेरी कलम ने लिखा ...!!
किसी ने बेसिरपैर की बातें कर दी और शुरू हो गया ट्वीट पर ट्वीट का खेल।
तारकेश कुमार ओझा/ मैं एक बेचारे ऐसे अभागे जो जानता हूं जिसे गरीबी व भूखमरी के चलते उसके ब…
मारक होती “माननीय” बनने की मृगतृष्णा ...
तारकेश कुमार ओझा / ... देश और जनता की हालत से मैं दुखी हूं। इसलिए आपके बीच आया हूं। अब बस मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं... राजनीति से अलग किसी दूसरे क्षेत्र के स्थापित शख्सियत को जब भी मैं ऐसा कहता सुुनता हूं तो उसका भविष्य मेरे सामने नाचने लगता है। मैं समझ जाता हूं कि यह…
समाजवादी नेताओं को मिले बेस्ट एंटरटेनर एवार्ड ...!!
तारकेश कुमार ओझा / बचपन में स्कूल की किताबों में स्वतंत्रता सेनानी लाल - बाल - पाल के बारे में खूब पढ़ा था। जिज्ञासा हो ने पर पता चला कि तीनों महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिनका आजादी के आंदोलन में बड़ा योगदान था। कॉलेज तक पहुंचने पर देश के सबसे बड़े सूबे के उस राजनैति…
समय की रेत, घटनाओं के हवा महल
तारकेश कुमार ओझा/ बचपन में टेलीविजन के पर्दे पर देखे गए दो रोमांचक दृश्य भूलाए नहीं भूलते। पहला क्रेकिट का एक्शन रिप्ले और दूसरा पौराणिक दृश्यों में तीरों का टकराव। एक्शन रिप्ले का तो ऐसा होता था कि क्रिकेट की मामूली समझ रखने वाला भी उन दृश्यों को देख कर खासा रोमांचित हो…
अथ श्री चचा कथा ....!!
नई खबर - पुरानी को चलन से बाहर कर देती है
तारकेश कुमार ओझा/ वाणिज्य का छात्र होने के नाते कॉलेज में पढ़ा था कि बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। पेशे के नाते महसूस किया कि नई खबर - पुर…
सोशल मीडिया इंश्योरेंस : लिखने की आजादी
एम् एम् चन्द्रा/ देश में चल रही अभिव्यक्ति की आजादी की डिबेट में “सोशल मीडिया इंश्योरेंस” कंपनी भी कूद पड़ी है. यह इंश्योरेंस सोशल मीडिया पर प्रत्येक व्यक्ति को बिना डरे, खुल के लिखने के लिए प्रेरित करती है. यदि सवाल देश भक्ति और अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़ा हो तो यह ओर भी ज्…
अनकही कहानी... अनकहा दर्द ...
मेरी निगाहें अपने जैसे आम आदमी से जुड़ी खबरें तलाश रही है
तारकेश कुमार ओझा/ जीवन के शुरूआती कुछ वर्षों में ही मैं नियति के आगे नतमस्तक हो चुका था। मेरी समझ में यह बात अच्छी …
खिलाड़ियों की मस्ती और सुल्तान का गुणगान...!!
तारकेश कुमार ओझा/ समय, पहर या दिन कैसे बीत जाते हैं पता ही नहीं चलता। अब देखिए देखते - देखते एक सप्ताह बीत गया। इस बीच हमने शांति की तलाश में भटक रही दुनिया को और अशांत होते देखा। आतंकवाद और कट्टरतावाद का दावानल उन देशों तक भी पहुंच गया, जो अब तक इससे अछूते थे। राष…
किसका जन्म दिन , कौन मतवाला...!!
तारकेश कुमार ओझा/ उस रोज टेलीविजन पर मैं एक राजनेता का जन्म दिन उत्सव देख रहा था। लगा मानो किसी अवतारी पुरुष का जन्म दिन हो। नेताजी के बगल में उनका पूरा कुनबा मौजूद था। थोड़ी देर में मुख्यमंत्री से लेकर तमाम राजनेता उनके यहां पहुंचने लगे। दिखाया गया कि नेताजी ने अपन…
फिल्म वालों से नाराज कोटेश्वर ...!!
तारकेश कुमार ओझा/ जिंदगी मुझे शुरू से डराती रही है। इसके थपेड़ों को सहते - सहते जब मैं निढाल होकर नींद की गोद में जाता हूं, तो डरावने सपने मुझे फिर परेशान करने लगते हैं। जन्मजात बीमारी की तरह यह समस्या मुझे बचपन से परेशान करती आई है। होश संभालने के साथ ही मैं इस विभीष…
किसी की सफलता , किसी की सजा...!!
तारकेश कुमार ओझा/ उस दिन मैं दोपहर के भोजन के दौरान टेलीविजन पर चैनल सर्च कर रहा था। अचानक सिर पर हथौड़ा मारने की तरह एक एंकर का कानफाड़ू आवाज सुनाई दिया। देखिए ... मुंबई का छोरा - कैसे बना क्रिकेट का भगवान। फलां कैसे पहुंचा जमीन से आसमान पर। और वह उम्दा खिलाड़ी कैसे बन ग…
चिंतन बढ़े तो चिंता घटे ...!!
तारकेश कुमार ओझा/ चिंता और चिंतन की दुनिया भी अजीब है। हर इंसान की चिंता अलग - अलग होती है। जैसे कुछ लोगों की चिंता का विषय होता है कि फलां अभिनेता या अभिनेत्री अभी तक शादी क्यों नहीं कर रहा या रही। या फिर अमुक जोड़े के बीच अब पहले जैसा कुछ है या नहीं। एक समूह की चिंता आइ…
लोगों की फेसबुक पोस्ट ने बनाया लिखने का मूड
डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/ कई दिनों से लिखने का मूड बना रहा था परन्तु ऐसा सम्भव होता दिख नहीं रहा था। सोचा चलो अब लिखने से तौबा ही कर लिया जाए लेकिन फिर सोचने लगा कि जब तक जीना है लेखन तो करना ही पड़ेगा- ऐसा करके ही अपना अस्तित्व कायम रख पाऊँगा। फिर प्र…
माल्या प्रा... तुस्सी ग्रेट हो...!!
तारकेश कुमार ओझा/ जन - धन योजना तब जनता से काफी दूर थी। बैंक से संबंध गिने - चुने लोगों का ही होता था। आलम यह कि नया एकाउंट खुलवाने के लिए सिफारिश की जरूरत पड़ती। किसी भी कार्य से बैंक जाना काफी तनाव भरा अनुभव साबित होता था। क्योंकि रकम जमा करानी हो या नि…
बकवास के लिए हमारे पास टाइम नहीं
डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/ हैल्लो! जी हाँ बोलो- पर ध्यान रहे तुम्हारी बकवास के लिए हमारे पास टाइम नहीं है। क्यूँ जी ऐसा काहें को बोल (कह) रहे हैं? यार बड़े घामड़ हो- देख नहीं रहे हो- पूरे देश में रोहित वेमुला, कन्हैया, ऋचा सिंह जे.एन.यू./इलाहाबाद व…
साहित्य में ' मीट '...!!
तारकेश कुमार ओझा/ साहित्य समारोह- उत्सव या सम्मेलन की बात होने पर मुझे लगता था इस बहाने शब्दकर्मियों व साहित्य साधकों को उचित मंच मिलता होगा। एक ऐसा स्थान जहां बड़ी संख्या में साहित्य साधक इकट्ठे होकर साहित्य साधना पर वार्तालाप करते होंगे। छात्र जी…
पत्रकार भाई जी ‘लिव एण्ड लेट लिव, ईट एण्ड लेट ईट’
डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/ हे मित्र, मैं लाचार हूँ वर्ना अब तक आप द्वारा प्रेषित आलेख का प्रकाशन हो गया होता। मैं आप की सिफारिश किस मुँह से करूँ......? आप ने ही कहा था कि नव वर्ष पर पोर्टल के लिए कुछ डिस्प्ले विज्ञापन भेजेंगे, य…
नवीनतम ---
- पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का दस्तावेज है – ‘...लोगों का काम है कहना’
- 'मीडिया गुरु सम्मान' से अलंकृत हुए प्रो. द्विवेदी
- दो दिवसीय युवा उत्सव सम्पन्न
- सकारात्मक खबरों को बढ़ावा देने से ही समाज स्वस्थ और सुखी होगा: डॉ. मुरुगन
- हासा-भासा की लूट की राजनीति से प्रेरित है विमर्श का विषय
- राष्ट्रीय मीडिया गुरु सम्मान से अलंकृत किए जाएंगे प्रो.संजय द्विवेदी
- तीन श्रेष्ठ कवियों की पत्रकारिता का आकलन
- जलवायु परिवर्तन और जेंडर रिपोर्टिंग के लिए विशेष कौशल व ज्ञान की जरुरत
- व्यक्ति-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर संस्थाओं पर ध्यान केंद्रित करे मीडिया: उपराष्ट्रपति
- मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र महत्वपूर्ण वृद्धि के लिए तैयार
- 2030 तक दुनिया का हर पांचवां व्यक्ति बोलेगा हिंदी: प्रो. द्विवेदी
- शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करना हम सबों की जवाबदेही: श्रवण कुमार
- हिंदी : राजभाषा, राष्ट्रभाषा और विश्वभाषा
- पत्रकारिता गहरे संकट में है
- दूसरा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध मीडिया सम्मेलन 11 को
- वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय नहीं रहे
- दो तरह से क्यों लिखा जाता है
- तकनीक ने दुनिया को बदलाः हरिवंश
वर्गवार--
- feature (35)
- General (179)
- twitter (1)
- whatsapp (3)
- अपील (8)
- अभियान (9)
- अख़बारों से (4)
- आयोजन (99)
- इंडिया टुडे (3)
- खबर (1645)
- जानकारी (5)
- टिप्पणी (1)
- टीवी (3)
- नई कलम (1)
- निंदा (4)
- पत्रकारिता : एक नज़र में (2)
- पत्रकारों की हो निम्नतम योग्यता ? (6)
- पत्रिका (44)
- पुस्तक समीक्षा (47)
- पुस्तिका (1)
- फेसबुक से (212)
- बहस (13)
- मई दिवस (2)
- मीडिया पुस्तक समीक्षा (21)
- मुद्दा (501)
- लोग (8)
- विरोधस्वरूप पुरस्कार वापसी (6)
- विविध खबरें (579)
- वेकेंसी (14)
- व्यंग्य (30)
- शिकायत (10)
- शिक्षा (10)
- श्रद्धांजलि (118)
- संगीत (1)
- संस्कृति (1)
- संस्मरण (31)
- सम्मान (17)
- साहित्य (101)
- सिनेमा (16)
- हिन्दी (5)
पुरालेख--
- October 2024 (1)
- September 2024 (16)
- August 2024 (8)
- July 2024 (9)
- June 2024 (9)
- May 2024 (13)
- April 2024 (11)
- March 2024 (12)
- February 2024 (11)
- January 2024 (7)
- December 2023 (7)
- November 2023 (5)
- October 2023 (16)
- September 2023 (14)
- August 2023 (11)
टिप्पणी--
-
Anurag yadavJanuary 11, 2024
-
सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
-
Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
-
Manjeet SinghJune 23, 2023
-
AnonymousJune 6, 2023
-
AnonymousApril 5, 2023
-
AnonymousMarch 20, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना