राजद कार्यकारी सुप्रीमो तेजस्वी यादव ने विपक्ष के नेताओं को लिखा खत
अजय दीप चौहान/ बीते फरवरी महीने में मीडिया के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने वाले राजद के कार्यकारी सुप्रीमो तेजस्वी यादव ने दो हफ्तों के बाद एक बार फिर से मीडिया को लेकर सवाल खड़ा करते हुए विपक्ष के नेताओं को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि कोई भी विपक्षी पार्टियां अपने नेताओं या प्रवक्ताओं को शाम के समय टीवी चैनल में होने वाले डिबेट (बहस) कार्यक्रमों में न भेजें क्यों कि तेजस्वी के ताजा ट्वीट के अनुसार- "साथियों! एक तरफ जहाँ हम भुखमरी, बेरोजगारी, किसान और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं वहीँ मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग BJP मुख्यालय द्वारा तय अजेंडे के तहत इन सरोकारों पर पर्दा डाल रहा है। आइए हम सामूहिक रूप से उन चैनलों का बहिष्कार करने का निर्णय लें..."
इस ट्वीट से यह साफ जाहिर होता है कि मीडिया के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी पर भी उन्होंने मीडिया के साथ सांठगांठ पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मीडिया का काम सामाजिक न्याय के मुद्दों को उठाना है मगर मीडिया भाजपा मुख्यालय द्वारा जारी एजेंडा पर काम कर रही है।
तेजस्वी ने लगातार अपने ट्विटर एकाउंट से लगातार पाँच (5) ट्वीट्स कर लोगों के सामने अपनी राय को प्रकट किया है। इन पाँचों ट्वीट्स में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, हेमंत सोरेन, जीतनराम मांझी, बदरुद्दीन अज़मल उपेंद्र कुशवाहा, दीपांकर भट्टाचार्य, अजित सिंह, सुधाकर रेड्डी, फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, एम के स्टालिन, समेत तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं को भेजे गए पत्रों की कॉपी को पोस्ट किया है।
क्या लिखा है तेजस्वी ने इस पत्र में?
राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकारी सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने विपक्ष के सभी नेताओं से न्यूज चैनलों की डिबेट में शामिल नहीं होने का आग्रह करते हुए लिखा है कि ''हर शाम टीवी चैनलों पर डिबेट शो कराया जाता है। इनमें से कुछ चैनलों का उद्देश्य सिर्फ विपक्षी पार्टियों को बदनाम करना है। न्यूज चैनलों पर डिबेट में राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता को अपनी पार्टी का पक्ष रखने के उद्देश्य से बुलाया जाता है। लेकिन हकीकत ये है कि न्यूज चैनलों के कई एंकरों ने देशहित के मुद्दों पर होने वाली टीवी बहसों में न सिर्फ निष्पक्षता त्याग दी है, बल्कि ये भारतीय समाज में नफरत का माहौल भी फैला रहे हैं।’’
कौन-कौन खड़ा है तेजस्वी के इस मुद्दे के साथ...
तेजस्वी के इस आह्वान के बाद मीडिया जगत में भी खलबली मच गई है। क्यों कि इससे पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा एक निजी चैनल के डिबेट शो में अपने प्रवक्ताओं को भेजने पर लगाम लगा दिया गया था जिसके बाद उक्त चैनल के वरीय कर्मचारियों द्वारा माफीनामा लिखकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मनाया गया था। तेजस्वी के इन ट्वीट्स को लगभग 10 हजार लोगों ने ट्विटर पर पसंद किया है जबकि तकरीबन 3 हजार लोगों ने रिट्वीट किया है। राजद के सुप्रीमो तेजस्वी के पिता लालू यादव ने भी उनके इस ट्वीट को अपने ट्विटर अकाउंट से रिट्वीट किया है।
वहीं तेजस्वी द्वारा लिखे गए इस खत को लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर जवाब लिखते समय तेजस्वी को टैग कर लिखा है कि "हम सभी एक साथ हैं। सांस्कृतिक फासीवाद के खिलाफ इस लड़ाई में एकजुट हैं। उन्होंने आगे भाजपा को टैग कर लिखा है कि सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा द्वारा मीडिया प्लेटफार्म और टीवी स्टूडियो के माध्यम से उत्पीड़ित फैलाया गया है। हम आवाम के साथ जमीन पर खड़े होकर उनकी आवाज़ उठाते रहेंगे।"
बता दें कि इससे लगभग लगभग दो हफ्ते पहले तेजस्वी ने 20 फरवरी को मुजफरपुर बालिका गृह बलात्कार कांड को लेकर मीडिया के कार्यशली को सवालों के परिधि में खड़ा किया था और तब लिखा था कि "विज्ञापन के रूप में खाए नीतीश कुमार (बिहार के मुख्यमंत्री) के सरकारी नमक का कर्ज जो चुकाना है। एक-दो (मीडिया) को छोड़कर किसी में इतनी नैतिक और सैद्धान्तिक हिम्मत नहीं है कि नीतीश कुमार के विरुद्ध उनके नाम से कोई खबर अख़बार में छाप दें। खैर, हम तो फिर भी प्रार्थना करते है कि भगवान उन्हें और मुनाफ़ा और बरकत दें! बता दें कि इस बात को दो दिनों बाद तेजस्वी ने आरा में एक कार्यक्रम के दौरान रमना मैदान में भी दुहराया था।
अजय दीप चौहान की विशेष रिपोर्ट...