वरिष्ठ पत्रकार संजीव प्रताप सिंह का निधन, स्मृति शेष
लिमटी खरे/ सुबह साढ़े सात बजे के लगभग जब अखबार बांच रहे थे, उसी दौरान मोबाईल पर घंटी बजी, मित्र संजीव प्रताप सिंह का फोन था। छूटते ही बोले ‘भैया मेरे राखी के बंधन को . . ., उसके बाद चिर परिचित ठहाका। इसके उपरांत बचपन की ढेर सारी यादों पर लगभग आधा घंटा चर्चाएं होती रहीं। नागपुर से रेलवे के वरिष्ठ पायलट अनिल श्रीवास्तव आए थे, उनके साथ दोपहर 12…