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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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Blog posts : "कविता"

खबरों के व्यापार में

डॉ अबरार मुल्तानी//

चूंकि हर व्यापार में

फ़ायदा ही मक़सद होता है

इसलिए खबरों के व्यापारियों

का भी खबरों से

बस फ़ायदा ही मक़…

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खबरों का घोटाला !

कृष्णेन्द्र राय//

खबर है दिलचस्प ।

खबरों का घोटाला ।।

नजर लगी है तेज ।

                               लगाओ टीका काला ।।

खबर है पधारी …

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नोचकारिता के सिपाही

सरस्वती रमेश //

नोचकारिता के सिपाही हैं ये

बिकाऊ -चलताऊ खबरों पर

गिद्ध दृष्टि रखने और

                        चील सा झपट्टा मारने…

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खबरों की भीड़ में ....!!

तारकेश कुमार ओझा //

खबरों की  भीड़ में , 

राजनेताओं का रोग है .

अभिनेताओं के टवीट्स हैं .

अभिनेत्रियों का फरेब है .

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जनता का अख़बार कौन निकालेगा

मनोज कुमार झा //

विज्ञापन ख़बरों की तरह

और ख़बरें विज्ञापनों की तरह

अख़बार में देश-दुनिया का हाल

                               कुछ इसी तरह…

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क्या है हमारी खबरों में

रश्मि रंजन//

 

सोचती हूँ.......

क्या है हमारे विचारों में

क्या है हमारे शब्दों में

क्या है हमारी खबरों में

धर्म/ जाति/ पैसा....…

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जनता बेख़बर है

हिंदी के सभी प्रमुख दैनिक अख़बारों के मुख पृष्ठ ढके हैं ....... 

चंद्रेश्वर //

बीत रही जो तिथि वो तेईस जनवरी है

दो हज़ार बीस की …

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आधुनिक मीडिया

अविनाश कुमार// 

वक्तव्यों की स्वातंत्र मीडिया
जब कर्तव्यों पर कुभलांती है,
आपातकाल और सेंसरशीप में
इसकी गरिमा धुंधलाती है,…

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पत्रकार

अविनाश कुमार //

ये कौन पत्रकार है, ये कौन पत्रकार

जिसका पथ है त्याग का ,

सत्य का परमार्थ का,

पीर परमहंस सा,                                             …

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क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!!

मनिष कुमार//

समय के अभाव से गुस्साते परिवार-रिश्तेदार हैं

साथ ही ना अच्छा घर ना कार है

क्योंकि पेशे से हम पत्रकार हैं!…

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सोशल मिडिया वाले देश को बचा लें

गुलाम कुन्दनम//

मुज्जफरनगर फिर धधक उठा,
काशगंज मुज्जफरनगर बन रहा,
जो बीज सत्ता के खातिर बोए गये थे
आज वही रक्तबीज बन रहा।…

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पत्रकारिता कैसे करूँ?

पूजा प्रांजला //

पत्रकार तो बन रही,

पत्रकारिता कैसे करूँ?

अच्छाइयां मिलती नहीं,

बुराइयाँ कितनी लिखूं ?

ये देश है जितनी बड़ी…

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पत्रकाऱ

अमलेंदु कुमार अस्थाना //

हम नहीं लौट पाते,

जैसे शाम ढले पंछी लौटते हैं घोंसलों में,

अंधेरी रात जब दौड़ती है मुंह उठाए हमारी ओर…

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पत्रकार है पत्रकार ?

मनोज कुमार/

दर्जनों डिग्री लेकर जब मैं बेरोजगार बना, सम्पादक की मेहरबानी से बिन तनख्वाह पत्रकार बना। 

जेब में कैमरा, गाड़ी में PRE…

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कौन निकालेगा जनता का अख़बार ?

मनोज कुमार झा //

विज्ञापन ख़बरों की तरह
और ख़बरें विज्ञापनों की तरह
अख़बार में देश-दुनिया का हाल
कुछ इसी तरह

नँगाझोर बाज़ारवाद …

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उपरवाले के घर से

(मैं, राजदेव रंजन)

ग़ुलाम कुन्दनम//

उपरवाले के घर से मैं,
राजदेव रंजन बोल रहा हूँ।
मेरे साथ चतरा के इंद्रदेव,
चंदौली के हेमंत,…

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सम्पादक

डॉ. लीना