संजय कुमार / बाजारवाद के आगे आज सब कुछ गौण हो चुका है। आमखास इसकी गिरफ्त में हैं। मीडिया भी इससे अछूता नहीं। अपने को बाजार में बनाए रखने के लिए मीडिया बाजारवाद के झंडातले खड़ा हो कर हां में हां मिलाता मिलता है। भले ही इसके लिए उसे मापदण्ड, नीति व सिद्धांत को ताक पर ही क्यों न रखना प…
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