उर्मिलेश। बीती रात भोजन के बाद कोई गंभीर पठन-पाठन का मन नहीं था. बाहर निकलने की भी इच्छा नही हुई तो टीवी खोल लिया. एक बड़े चैनल पर गया. बहुत तेज और चमकीला चैनल है. 'अच्छी पत्रकारिता' के लिए हमेशा पुरस्कार पाता रहता है. इस पर एक खबर पेश की जा रही थी: देश के कई इलाकों में पेट्रोल के…
Blog posts : "फेसबुक से "
खबर को गोबर क्यों बना रहे हो भाई?
जारकर्म की डाइवर्सिटी मांगते दुसाध
कैलाश दहिया/ यह अच्छी बात है कि सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के दिमाग पकड़ में आ रहे हैं। मैंने 02 फरवरी, 2021 को फेसबुक पर अपनी निम्नलिखित पोस्ट डाली थी...…
क्यों सनक को ही पत्रकारिता का पर्याय बना दिया?
एंकर विकास शर्मा की मौत, एंकर और मीडियाकर्मियों को एक सबक!
विनीत कुमार। रिपब्लिक भारत के स्टार एंकर विकास शर्मा की मौत उन सभी एंकर और मीडियाकर्मियों को एक बार फिर से सोचने की सलाह देत…
सेलिब्रिटी पत्रकारों के स्वार्थ ने पत्रकारिता को कहां खड़ा कर दिया
क्या गलती उस पत्रकार की जो बहुत ईमानदारी से रिपोर्ट दिखाता है?
रितिक चौधरी। इस वक़्त हमारी पत्रकारिता बहुत अच्छे दौर में नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में इसने बहुत कुछ खो दिया है।…
किसान आंदोलन कवर कर रहे दो पत्रकार पुलिस-हिरासत में
मंदीप पुनिया और धर्मेन्द्र सिंह दोनों स्वतंत्र पत्रकार हैं
उर्मिलेश/ सिंघू बार्डर पर किसान आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों को कवर कर रहे दो युवा पत्रकारों मंदीप पुनिया और धर्मेन्द्र स…
मीडिया राज्य सत्ता का टूल बना हुआ है
लोगो के दिमाग को नियंत्रित कर रहा है
गिरीश मालवीय/ पिछले दो दिनों से किसान आंदोलन के प्रति आम जनता का नजरिया बदलता हुआ देख कर अमरीकी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता मैल्कम एक्स की इस उक्ति पर विश्वास और दृढ़ हो गया है जो उन्ह…
देश का मीडिया
राजकुमार सोनी/ देश के चंद मीडिया संस्थानों को छोड़कर अधिकांश की स्थिति सूअरों के जीवन से भी ज्यादा खराब हो गई हैं. कल दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान मीडिया का जो कव्हरेज सामने आया वह यह बताने के लिए काफी हैं कि मीडिया किस बुरी तरह से अंधभक्ति में लीन होकर आवाम के साथ गद्दारी…
घटिया मनोरंजन का साधन बन रहा मीडिया
मनोज कुमार झा। पहले समाचार-पत्रों में उप सम्पादक बन जाना बहुत बड़ी बात होती थी। उप सम्पादक को अख़बार का 'बैक बोन' माना जाता था। चीफ़ सब एडिटर के ग़ज़ब के जलवे होते थे। समाचार सम्पादक होना तो बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी और उसके अधिकार भी बहुत होते थे। फिर डिप्टी एडिटर और असिस्टेंट एडि…
पत्रकारिता की मातृभूमि, बस्तर में तबदील होती जाती दिल्ली और पिंजरे में बंद लोकतंत्र की शुक-सारिकाएं
त्रिभुवन / पत्रकारिता दरअसल पत्रकारों के लिए पेशा या प्रफेशन भर नहीं है। वह उनकी/ हमारी मातृभूमि है। पत्रकारिता के शिक्षा केंद्रों और शिक्षकों की कोई उपयोगिता या ज़रूरत नहीं है, अगर वे एक बेहतरीन लोकतांत्रिक समाज को मज़बूत बनाने वाली पत्रकारिता के लिए नए लोगों को तैयार नहीं करें।…
मूकनायक के शताब्दी वर्ष में ट्रॉली टाइम्स का स्वागत
संजीव चंदन। यह मूक नायक का 100वां साल है। इस साल किसानों द्वारा अखबार प्रकाशन का क्रांतिकारी काम बाबा साहेब को एक ट्रिब्यूट है। …
अखबार की छह हजार प्रतियां छीन कर जला दी गईं
त्रिपुरा में यह अखबार मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार के कृषि मंत्री और कुछ अन्य पार्टी नेताओं द्वारा किए गए 150 करोड़ रुपये के घोटाले की रिपोर्ट की श्रृंखला प्रकाशित कर रहा था…
पत्रकारिता सबसे बुरे दौर में
जब जब पत्रकारिता के मापदंडों की अवहेलना की जाएगी, न जाने कितने अर्बन गोस्वामी जेल में डाले जाएंगे
रमेश कुमार रिपु/…
दूरदर्शन पटना की उर्दू न्यूज़ बुलेटिन को बंद करने की साजिश
दूरदर्शन समाचार कैजुअल वर्कर्स एसोसिएशन ने दूरदर्शन पटना और प्रसार भारती के वरिष्ठ पदाधिकारीयों को भेजी चिट्ठी …
ये मीडिया नहीं हैं
उर्मिलेश। जिन 'खबरिया चैनलों' को मीडिया कहकर आप मीडिया को कोसते हैं, वो मीडिया नहीं है भाई!
इसे मीडिया कहना बंद कीजिए! यह सत्ता और और कुछ 'शक्तिशाली निहित…
सत्ता के चरण चाट टीवी चैनल
मनोज कुमार झा। लोग कहते हैं सुशांत सिंह राजपूत को चरस गांजा शराब और तमाम तरह के नशे का व्यसन था जो विश्व की सभी फिल्मी दुनिया में आम है। वे कथित बाई पोलर डिसाडर से भी ग्रस्त थे। कई महिलाओ के साथ लिवइन में रहा जैसे अंकिता लोखंडे, कीर्ति सोनन, सारा, रिया आदि, कई महिलाओं से…
विश्व स्वास्थ्य संगठन और मीडिया का गठजोड़ !
गिरीश मालवीय। WHO ओर मीडिया का गठजोड़ किस कदर कोरोना का ख़ौफ़ बनाए रखना चाहता है इसका एक और उदाहरण देता हूँ.........
आपको याद होगा मार्च के…
एडवर्टोरियल पाठक को धोखा देना है
राजेश चंद्रा। ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश में अपराध चरम पर है, सरकार कोरोना और अपराधियों के सामने लाचार और अक्षम साबित हो चुकी है, तब इंडियन एक्सप्रेस ने आज यह फेक न्यूज़ छापा है और इसे एडवर्टोरियल नाम दिया है! …
बीमारी बढ़ गयी, खबर सिकुड़ गयी
21 मार्च को 50 नए मामले थे, 25 जुलाई को 50,000 नए मामले। एक ही अखबार की रिपोर्टिंग।
बीमारी बढ़ गयी, खबर सिकुड़ गयी।
सीटू तिवारी के फेसबुक वाल से…
कैसे कैसे रिसर्च स्कालर!
अरुण आजीवक/ एक रिसर्च स्कालर हैं प्रदीप कुमार गौतम। ये रिसर्च नहीं बल्कि भाषणबाजी करते हैं। भाषणबाज बनने का दंभ भरते हैं। यू ट्यूब पर अपलोडेड अपने एक भाषण का इन्होंने कैलाश दहिया जी के दिनांक 28 जून, 2020 की एक फेसबुक पोस्ट 'कुसुम वियोगी और कबीर कात्यायन में क्या अन्तर है?' पर टिप…
एक संवेदनशील पत्रकार की मौत और उसकी वजह
सुनील पांडेय / वरिष्ठ पत्रकार राज रतन कमल नहीं रहे। शुक्रवार देर रात निधन हो गया। आज सुबह से ही FB पर उनके लिए संवेदना व्यक्त की जा रही है। मैं भी इस दुःख की घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़ा हूँ। लेकिन मुझे घोर आश्चर्य हो रहा है कि पटना में मौजूद उनके साथ काम कर चुके, उन्हें निजी…