Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

Blog posts : "साहित्य "

लोकमंगल के संचारकर्ता हैं नारद

नारद जयंती(25 मई) पर विशेष

प्रो. संजय द्विवदी/    ब्रम्हर्षि नारद लोकमंगल के लिए संचार करने वाले देवता के रूप में हमारे सभी पौराणिक ग्रंथों में एक अनिवार्य उपस्थिति हैं। वे तीनों लोकों में भ्रमण करते हुए जो कुछ करते और कहते हैं, व…

Read more

सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफ़रत एक सुनियोजित षड़यंत्र ?

तनवीर जाफ़री/ जिस भारत देश में स्कूली शिक्षा में प्राइमरी कक्षा की इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में सभी धर्मों के महापुरुषों की जीवन गाथा केवल इसी मक़सद से पढ़ाई जाती थी ताकि देश के कर्णधार बच्चों को न केवल उनके व्यक्तित्व के बारे में पता चल सके बल्कि उनके प्रति आदर, सत्कार, सम्मान व स्…

Read more

रामसिंह की ट्रेनिंग

मॉस कम्युनिकेशन में यह नहीं पढाया जाता .... 

दिनेश चौधरी/ पिछले छः-सात दिनों से पड़ोस वाले घर से अजीब-सी आवाजें आती हैं। आवाज जानी-पहचानी सी लगती तो है, पर इतनी तीव्र होती है कि कुछ समझ में नहीं आता। कई बार जी में…

Read more

खबरों के व्यापार में

डॉ अबरार मुल्तानी//

चूंकि हर व्यापार में

फ़ायदा ही मक़सद होता है

इसलिए खबरों के व्यापारियों

का भी खबरों से

बस फ़ायदा ही मक़…

Read more

सीरियस खबरें !

अजीत शाही/ पंद्रह साल पहले की बात है. एक न्यूज़ चैनल के मालिक ने मुझे काम पर रखा ये कह कर कि हम न्यूज़ कम कर पा रहे हैं ऊलजलूल ख़बरें ज़्यादा हैं, तुम ज़रा मदद कर दो सीरियस खबरों में. तीन चार हफ़्ते बाद एक स्ट्रिंगर ने एक रिपोर्ट भेजी: कुत्तों का श्मशान. खबर थी कि किसी शहर में कुत्तो…

Read more

विमल थोराट और दो दलित स्त्रियों का चिंतन

कैलाश दहिया/ 'दलित वैचारिकी और हाशिए का समाज' विषय पर प्रगतिशील लेखक संघ, उत्तर प्रदेश ने 11 जनवरी, 2021 को फेसबुक के माध्यम से एक परिचर्चा का आयोजन किया था। इस का संचालन आधे-अधूरे दलित आर.डी. आनंद ने किया। इस बातचीत में जो लोग शामिल हुए उन का दलित वैचारिकी से दूर-दूर तक किसी तरह…

Read more

धर्मांतरण का अर्थ है दलितों में विभाजन

कैलाश दहिया/ दलित इतिहास में धर्मांतरण एक बड़ी घटना के रूप में दर्ज है। दिनांक 14 अक्टूबर, 1956 के दिन बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म में धर्मांतरित हो गए थे, जिन में अधिकांश महार जाति के लोग ही थे। तभी से नवबौद्धों में यह दिन विशेष महत्व क…

Read more

खबरों का घोटाला !

कृष्णेन्द्र राय//

खबर है दिलचस्प ।

खबरों का घोटाला ।।

नजर लगी है तेज ।

                               लगाओ टीका काला ।।

खबर है पधारी …

Read more

नोचकारिता के सिपाही

सरस्वती रमेश //

नोचकारिता के सिपाही हैं ये

बिकाऊ -चलताऊ खबरों पर

गिद्ध दृष्टि रखने और

                        चील सा झपट्टा मारने…

Read more

खबरों की भीड़ में ....!!

तारकेश कुमार ओझा //

खबरों की  भीड़ में , 

राजनेताओं का रोग है .

अभिनेताओं के टवीट्स हैं .

अभिनेत्रियों का फरेब है .

Read more

जनता का अख़बार कौन निकालेगा

मनोज कुमार झा //

विज्ञापन ख़बरों की तरह

और ख़बरें विज्ञापनों की तरह

अख़बार में देश-दुनिया का हाल

                               कुछ इसी तरह…

Read more

क्या है हमारी खबरों में

रश्मि रंजन//

 

सोचती हूँ.......

क्या है हमारे विचारों में

क्या है हमारे शब्दों में

क्या है हमारी खबरों में

धर्म/ जाति/ पैसा....…

Read more

कोविड से किताबों को खतरा

प्रमोद रंजन / कोविड : 19 ने  किताबों के बाजार को गहरा धक्का पहुंचाया है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि  वैश्विक स्तर पर 2019 में किताबों का बाजार $ 92.8 बिलियन डालर का था | 2020 में इसके घटकर $ 75.9 बिलियन  डालर रह जाने की उम्मीद है।…

Read more

सच जानने के हमारे अधिकार को किस एक्ट के तहत बाधित किया गया है?

.... ये वही मीडिया संस्थान थे, जिन्होंने डब्लूएचओ द्वारा दी गई मानवाधिकारों का ख्याल रखने की सलाह को प्रकाशित करने से परहेज किया था...…

Read more

मक्खलि गोसाल और उन का आजीवक चिंतन

कैलाश दहिया/ दलितों में आज महान मक्खलि गोसाल को ले कर जिज्ञासा पैदा हो गई है। ये जानना चाहते हैं मक्खलि गोसाल कौन थे? क्या वे सही में दलित चिंतक थे? उन का आजीवक धर्म क्या था और उस के सिद्धांत क्या थे? कुछ दलित तो गोसाल के दलित होने पर ही सवाल उठाते हैं। उधर, गोसाल पर लिखने वाले प…

Read more

साहित्यकार कोश हो रहा तैयार

मातृभाषा ने उठाया हिंदी का सबसे बड़ा साहित्यकार कोश  बनाने का बीड़ा, भारत में रहने वाले रचनाकार अपना या अपने शहर के साहित्यकारों, कवियों, लेखकों आदि का परिचय प्रेषित कर सकते हैं…

Read more

जनता बेख़बर है

हिंदी के सभी प्रमुख दैनिक अख़बारों के मुख पृष्ठ ढके हैं ....... 

चंद्रेश्वर //

बीत रही जो तिथि वो तेईस जनवरी है

दो हज़ार बीस की …

Read more

रिश्तों का अजायबघर है हिन्दी फिल्म 'दे दे प्यार दे'

संतोष कुमार / भारतीय परंपरा से इतर ब्राह्मण की परंपरा में रिश्तों के कोई मायने नहीं होते, यह हमें कामसूत्र और वेद-पुराण के अध्ययन से ज्ञात होता है। इसी भावना से प्रेरित हो ब्राह्मण लेखक अपनी कहानी गढ़ता है। कामसूत्री परंपरा(जारमय) के कड़ी के रूप में 'दे दे प्यार दे' फिल्म तिरोहित…

Read more

आधुनिक मीडिया

अविनाश कुमार// 

वक्तव्यों की स्वातंत्र मीडिया
जब कर्तव्यों पर कुभलांती है,
आपातकाल और सेंसरशीप में
इसकी गरिमा धुंधलाती है,…

Read more

एक बार फिर नए सिरे से सुर्खियां

मी टू की होली...!!

तारकेश कुमार ओझा/ अरसे बाद अभिनेता नाना पाटेकर बनाम गुमनाम सी हो चुकी अभिनेत्री तनुश्री दत्ता प्रकरण को एक बार फिर नए सिरे से सुर्खियां बनते देख मैं हैरान था। क्योंकि भोजन के समय रोज टेलीविजन के सामने बैठने पर आज की मी टू से जुड़ी…

Read more

20 blog posts

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना