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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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शिवाजी के किलों की कहानी बताती है ‘हिन्दवी स्वराज्य दर्शन’

प्रो. (डॉ) संजय द्विवेदी/ लेखक लोकेन्द्र सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कवि, कहानीकार, स्तम्भलेखक होने के साथ ही यात्रा लेखन में भी उनका दखल है। घुमक्कड़ी उनका स्वभाव है। वे जहाँ भी जाते हैं, उस स्थान के अपने अनुभवों के साथ ही उसके ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व से सबको परिचित कराने का प्रयत्न भी वे अपने यात्रा संस्मरणों से करते हैं। अभी हाल ही उनकी एक पुस्तक ‘हिन्दवी स्वराज्य दर्शन’ मंजुल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों के भ्रमण …

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सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफ़रत एक सुनियोजित षड़यंत्र ?

तनवीर जाफ़री/ जिस भारत देश में स्कूली शिक्षा में प्राइमरी कक्षा की इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में सभी धर्मों के महापुरुषों की जीवन गाथा केवल इसी मक़सद से पढ़ाई जाती थी ताकि देश के कर्णधार बच्चों को न केवल उनके व्यक्तित्व के बारे में पता चल सके बल्कि उनके प्रति आदर, सत्कार, सम्मान व स्नेह भी पैदा हो। आज उसी देश में सद्भाव व सौहार्द की नहीं बल्कि साम्प्रदायिक नफ़रत के बीज बोने जैसा ख़तरनाक खेल खेला जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के लाख मना करने व चेतावनी देने के बावजूद देश के मुख्य धारा के …

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लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

बी. एल. आच्छा/ कहते हैं कि आलोचकों की मूर्तियां नहीं बनती। पर दौलतपुर (रायबरेली) के आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी तो अपवाद हैं ही। और साहित्य में लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का व्यक्तित्व तो हिन्दी के हर पाठक में मूर्तिमान है। यह क्या कम है कि ग्राम अगौना जनपद बस्ती (उ.प्र) में सन 1884  में जनमे इस आचार्य की स्मृति मे आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी परिषद बस्ती (उ.प्र.) द्वारा 2022 में एक महाग्रंथ का प्रकाशन हुआ है। डॉ. परमात्मा नाथ द्विवेदी के संपादन में प्रकाश…

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रामसिंह की ट्रेनिंग

मॉस कम्युनिकेशन में यह नहीं पढाया जाता .... 

दिनेश चौधरी/ पिछले छः-सात दिनों से पड़ोस वाले घर से अजीब-सी आवाजें आती हैं। आवाज जानी-पहचानी सी लगती तो है, पर इतनी तीव्र होती है कि कुछ समझ में नहीं आता। कई बार जी में आता है कि अपना ही सिर दीवार पर ठोंक दिया जाए। इसके ठीक पहले यह भी ख्याल आता है कि पड़ोसी से बात कर ली जाए। भले आदमी हैं। इतनी सी शिकायत को अन्यथा नहीं लेंगे।…

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कुछ तो लोग कहेंगे...लोगों का काम है कहना

डॉ. विनीत उत्पल/ संजय द्विवेदी महज एक नाम है। वह नाम नहीं, जिसके आगे प्रोफेसर या डॉक्टर लगा हो। वह नाम नहीं, जिसके बाद महानिदेशक या कुलपति लगा हो। यह नाम है ऐसे शख्स का, जो समाज के एक तबके से लेकर किसी संस्थान या फिर राष्ट्र की तकदीर बदलनी की क्षमता रखता है। वह राख की एक छोटी-सी चिंगारी को भी विराट स्वरूप में लाने की क्षमता रखता है। वह किसी अनगढ़ पत्थर को छू ले, तो वह खुद को तराश कर सुन्दर बन जाता है।…

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अलविदा फोटो जर्नलिस्ट राजीव

कुमार कृष्णन/ राजीव नाम से चर्चित राजीवकांत  बिहार के चर्चित फोटो जर्नलिस्ट रहे हैं।  उनके जीवन में, उनकी नैतिकता में, उनके संस्कार में पैसे महत्वपूर्ण नहीं रहे। वे जीवन को संपूर्णता के साथ जीते-देखते रहे। राजीवकांत आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनसे जुड़ी अनेक यादें हैं।…

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पत्रकारों की असमय मृत्यु का राज़ !

वरिष्ठ पत्रकार राज बहादुर का निधन

नवेद शिकोह/ राजनीतिक रिपोर्टिंग पर राज करने वाले लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार राज बहादुर की मृत्यु के राज़ भी राज़ रह जाएंगे। ख़ुद्दारी की चादर में लिपटी ना जाने कितने ही पत्रकारों की देह एक राज़ के साथ ख़ाक हो जाती है। राजबहादुर जी की मौत के साथ भी उनकी पेशेवर मजबूरियों का राज़ चंद घंटों बाद ख़ाक हो जाएगा।…

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मीडिया साहित्य की और रचनायेँ--

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सम्पादक

डॉ. लीना