स्मृति शेष: सुबोध सागर (26 अप्रैल 2025 को निधन)
कुमार कृष्णन/ सुबोध सागर एक नाम प्रेस फोटोग्राफी की दुनिया का। छह दशक तक अखबारों और पत्र पत्रिका के लिए पूरे जुनून और समर्पण के साथ सभी तस्वीरें लीं, खबरों का कवरे…
स्मृति शेष: सुबोध सागर (26 अप्रैल 2025 को निधन)
कुमार कृष्णन/ सुबोध सागर एक नाम प्रेस फोटोग्राफी की दुनिया का। छह दशक तक अखबारों और पत्र पत्रिका के लिए पूरे जुनून और समर्पण के साथ सभी तस्वीरें लीं, खबरों का कवरे…
कुमार कृष्णन/ राजीव नाम से चर्चित राजीवकांत बिहार के चर्चित फोटो जर्नलिस्ट रहे हैं। उनके जीवन में, उनकी नैतिकता में, उनके संस्कार में पैसे महत्वपूर्ण नहीं रहे। वे जीवन को संपूर्णता के साथ जीते-देखते रहे। राजीवकांत आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनसे जुड़ी अनेक यादें हैं।…
वरिष्ठ पत्रकार राज बहादुर का निधन
नवेद शिकोह/ राजनीतिक रिपोर्टिंग पर राज करने वाले लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार राज बहादुर की मृत्यु के राज़ भी राज़ रह जाएंगे। ख़ुद्दारी की चादर में लिपटी ना जाने कितने ही पत्रकारों की देह एक राज…
सीटू तिवारी/ गणेश शंकर विद्दार्थी को याद करना इस वक्त बहुत जरूरी है.
आज जब पत्रकार के एक्टीविस्ट हो जाने या अपनी रिपोर्ट से इतर जरा सा बोल देने या कोई हस्तक्षेप कर देने पर भवें तन जाती है, …
मनोज कुमार/ कोई कहे पीपी सर, कोई कहे बाबा और जाने कितनों के लिए थे पीपी. एक व्यक्ति, अनेक संबोधन और सभी संबोधनों में प्यार और विश्वास. विद्यार्थियों के लिए वे संजीवनी थे तो मीडिया के वरिष्ठ और कनिष्ठ के लिए चलता-फिरता पीआर स्कूल. पहली बार जब उनसे 25 बरस पहले पहली बार पुष्पेन्द्रपाल…
जाना नैयर साहब का
दिनेश चौधरी/ सड़क के एक छोर पर कॉफी हाऊस था और दूसरी ओर नया-नया 'दैनिक भास्कर'। अखबार के दफ्तर में किसी ने बताया कि नैयर साहब कॉफी हाऊस में मिलेंगे। जोश और जुनून में मैंने जबरदस्ती एक अखबार में इस्तीफा दे दिया था और नई नौकरी की तलाश…
वरिष्ठ पत्रकार संजीव प्रताप सिंह का निधन, स्मृति शेष
लिमटी खरे/ सुबह साढ़े सात बजे के लगभग जब अखबार बांच रहे थे, उसी दौरान मोबाईल पर घंटी बजी, मित्र संजीव प्रताप सिंह का फोन था। छूटते ही बोले ‘भैय…
सतीश पेडणेकरः स्मृति शेष
निरंजन परिहार/ आईएसआईएस की कुत्सित कामवृत्ति, दुर्दांत दानवी दीवानगी और बर्बर बंदिशों की बखिया उधेड़ता इस्लामिक स्टेट की असलियत से अंतर्मन को उद्वेलित कर देने वाला लेखा-जोखा दुनिया के सामने रखनेवाले पत्रका…
प्रो. संजय द्विवेदी/ वे ही थे जो खिलखिलाकर मुक्त हंसी हंस सकते थे, खुद पर भी, दूसरों पर भी। भोपाल में उनका होना एक भरोसे और आश्वासन का होना था। ठेठ बुंदेलखंडी अंदाज उनसे कभी बिसराया नहीं गया। वे अपनी हनक, आवाज की ठसक, भरपूर दोस्ताने अंदाज और प्रेम को बांटकर राजपुत्रो…
दविंदर कौर उप्पल होने के मायने
प्रो. संजय द्विवेदी / माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग की अध्यक्ष रहीं प्रो. दविंदर कौर उप्पल का जाना एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिस…
प्रो. संजय द्विवेदी (महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली)/ मेरे गुरू, मेरे अध्यापक प्रो. कमल दीक्षित के बिना मेरी और मेरे जैसे तमाम विद्यार्थियों और सहकर्मियों की दुनिया कितनी सूनी हो ज…
हकदार के संस्थापक व जुझारू पत्रकार पन्नालाल प्रेमी का 22 अक्तूबर को निधन
ताराराम गौतम/ देश भर में दलित पत्रकारिता में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले साप्ताहिक अख…
पं. माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती (4 अप्रैल,1889) पर विशेष
प्रो. संजय द्विवेदी/ पं.माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नाम हैं, जिसे छोड़कर हम पूरे नहीं हो सकते…
नहीं रहे पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार पं. श्यामलाल चतुर्वेदी
प्रो. संजय द्विवेदी/ भरोसा नहीं होता कि पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार- साहित्यकार प…
मनोज कुमार/ मन आज व्याकुल है। ऐसा लग रहा है कि एक बुर्जुग का साया मेरे सिर से उठ गया है। मेरे जीवन में दो लोग हैं। एक दादा बैरागी और एक मेरे घर से जिनका नाम इस वक्त नहीं लेना चाहूंगा।…
एक था अखबार ( खण्ड-दो)
दिनेश चौधरी/ जिस अखबार के दफ़्तर में चौबीसों घण्टे कर्फ्यू लगा रहता था और जहाँ घड़ी की टिक-टिक साफ सुनाई पड़ती थी, मुझे बतौर प्रशिक्षु 'पाठकों के पत्र' एडिट करने का जिम्मा दिया गया। साथ में सम्पादकीय पृष्ठ की कुछ सामग्री और कुछ…
जरा घड़ी भर ठहरकर यह सोच लें कि जब आपकी दिमागी खुराक सेठ प्रजाति के लोग तय करें तो उस खुराक में जहरीले तत्वों की मात्रा कितनी होगी?…
13 फरवरी की रात हुआ है वरिष्ठ पत्रकार – स्तंभकार श्री हुसैन का निधन
संजय द्विवेदी/ मुंबई की सुबह और शामें बस ऐसे ही गुजर रही थीं। एक अखबार की नौकरी, लोकल ट्रेन के धक्के,…
हरीश बर्नवाल। 10 दिसंबर 2005 की घटना है। उन दिनों मैं स्टार न्यूज में कार्यरत था। मुंबई के जुहू तारा रोड स्थित रोटरी सेंटर में एक कार्यक्रम की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। इस कार्यक्रम के दो हीरो थे। एक निदा फाजली, जिनकी किताब का विमोचन था और दूसरा मैं, जिसे अखिल भारतीय अमृ…
मनोज कुमार/ सुधीर तुम तो कमजोर निकले यार.. इत्ती जल्दी डर गए.. अरे भई कीकू के साथ जो हुआ.. वह तुम्हारे साथ नहीं हो सकता था.. ये बात ठीक है कि…
डॉ. लीना