यह मगही फिल्म आंचलिक भाषा की फिल्मी दुनिया में खूब धूम मचा रही है
डॉ राशि सिन्हा (नवादा बिहार)/ प्रभात वर्मा निर्देशित फिल्म विधना न…
यह मगही फिल्म आंचलिक भाषा की फिल्मी दुनिया में खूब धूम मचा रही है
डॉ राशि सिन्हा (नवादा बिहार)/ प्रभात वर्मा निर्देशित फिल्म विधना न…
इन जैसे सहज - सरल पात्रों को फिल्म जगत ने एक तरह से लंबे वनवास पर ही भेज दिया है
तारकेश कुमार ओझा / सत्तर के दशक की सुपरहिट फिल्म शोले आज भी यदि…
जन्मदिन 6 अप्रैल पर उनको याद करते हुए
मनोज कुमार/ 50 साल पहले लगभग-लगभग 32-35 साल का एक युवा बनाना तो फिल्में चाहता था लेकिन उसकी रूचि सिनेमा के इतिहास को संजोने की हुई. एक बड़े सपने को लेकर छोटी सी कोशिश करने वाले परमेश …
पहली बोलती फिल्म आलम आरा के बरक्स भारतीय सिनेमा का सफर
मनोज कुमार/ हर दिन गुजरने के साथ तारीख बदल जाती है. यह क्रम हमारे जीवन में नित्य चलता रहता है किन्तु कुछ तारीखें बेमिसाल होती हैं. बेम…
फिल्म 'हैदर' पर कवि-आलोचक कैलाश दहिया की टिप्पणी प्राप्त हुई है श्री दहिया ने फिल्म को 'जारकर्म' से जोड़ कर देखा है और उसी दृष्टिकोण से आलोचना की है…
निर्मल रानी/ भारत सरकार द्वारा नियुक्त भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को प्रदर्शित करने की मंज़ूरी मिलने के बावजूद कुछ धर्मगुरुओं व हिंदूवादी संगठनों द्वारा राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित तथा आमिर खान द्वारा निर्मित फिल्म पीके के प्रदर्शन का विरोध किया जा रहा है। कुछ ज…
छठे पटना फिल्मोत्सव प्रतिरोध का सिनेमा की शुरुआत
पटना। 'बोल की लब आजाद हैं तेरे’ इस आह्वान के साथ कालीदास रंगालय में छठे पटना फिल्मोत्सव प्रतिरोध का सिनेमा उद्घाटन हुआ। यह त्रिदिवसीय फिल्मोत्सव प्रसिद्ध चि…
बाजार का चर्चित फंडा ब्रांडिंग , पैकेजिंग और मार्केटिंग के जरिए ऐसे बाजीगर कूड़ा - करकट भी सोने के भाव बेचने का माद्दा रखते हैं…
दो युवा भाइयों द्वारा बनायी गयी छोटी सी फ़िल्म "कंडोम लीड”
यादवेन्द्र / 8 जुलाई से मिस्र और इस्राइल के बीच सैंडविच बनी हुई छोटी सी पर दुनिया की सबसे ज्यादा घनी आबादी वाली गाज़ा पट्टी अखबारो…
तारकेश कुमार ओझा / किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान वाली कहावत को शायद बदलते दौर में बदल कर मीडिया मेहरबान तो गधा पहलवान करने की जरूरत है। क्योंकि व्यवहारिक जीवन में इसकी कई विसंगितयां देखने को मिल रही है। इसकी वजह शायद पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा वाले चलन का समाज के हर क्…
मीडिया आज बेहयाई से घटिया फिल्मों को भी तथाकथित सौ करोड़ क्लब में शामिल कराने का ठेका ले रहा है....
तारकेश कुमार ओझा /…
पलाश विश्वास / महज 49 साल की आयु में हाल के वर्षों में बंगाल के सबसे सक्रिय और सबसे चर्चित फिल्मकार ऋतुपर्णों घोष नींद में चले गये।…
कांस फिल्म महोत्सव भी मना रहा है भारतीय सिनेमा का शताब्दी वर्ष
भारतीय सिनेमा अपने शताब्दी वर्ष में एक वैश्विक पद्चिन्ह स्थापित करने के उद्देश्य से फ्रांस में कांस फिल्म मह…
मुर्दों के लिए सारां जहां, जिंदो को दो गज जमीन नहीं! हम लोग भी मुर्दाफरोश हैं
भारतीय राजनीति के इस जांबी कारोबार के मद्देनजर 'गो गोवा गान' फिल्म को देखें, तो कामेडी की हवा निकल ज…
किसी मजदूर को भारत का पहला फिल्म निर्माता होने का श्रेय भला क्यूं दिया जाए?
अश्विनी कुमार पंकज / भारत में सिनेमा के सौ साल का जश्न शुरू हो गया है।…
डॉ. लीना