

यह तथ्य कमोवेश सबको ज्ञात हैं कि भारतीय मीडिया का एक बडा तबका अपनी आजीविका विदेशियों की ऐजेंटी से चलाता है। हर एक समाचार पत्र का पाठक या टेलीविजन का जागरूक दर्शक यह जानता है कि मीडिया में एक तबका है जो अमेरिका की भारत से ज्यादा चिंता करता है तथा उसके लिये …
कैलाश दहिया / 12 सितम्बर 2005,
प्रखर आजीवक (दलित) चिन्तक डा. धर्मवीर की आलोचना की किताब ‘प्रेमचंद: सामंत का मुंशी’ का लोकार्पण का…
कैलाश
दहिया / डा. धर्मवीर का साहित्य क्यों
पढ़ें? यह कोई छोटा सवाल नहीं, बल्कि हिन्दी साहित्य का केन्द्रीय प्रश्न है। हिन्दी साहित्य या किसी भी
भाषा के साहित्य का मूलभूत प्रश्न क्या है?
या,
साहित्य
क्यों लिखा और पढ़ा जाता है? ऐसे ही सवालों के बीच डा. धर्मवीर के
साहित्य की पर…
डॉ. लीना