सिर्फ मास कॉम का कोर्स करके मीडियाकर्मी नहीं बन सकते
विनीत कुमार/ देश के प्रिय युवा/ टीनएजर्स !
यदि आप बारहवीं या स्नातक( ग्रेजुएशन) के बाद जर्नलिज्म एवं मास कॉम की पढ़ाई करके एक पेशेवर मीडियाकर्मी बनना चाहते हो तो इत्मिनान से, ठहरकर अंतिम फैसले तक आने के पहले सोचना. आप ख़ुद से सवाल करना कि क्या तुम अपने भीतर से दिल और दिमाग़ दोनों निकालकर एक डब्बे के तौर पर न्यूजरूम में शामिल हो सकते हो ? अपने को एक ऐसे डब्बे में तब्दील कर सकते हो जिसमें न्यूजरूम की सनक और मर्दवाद तुम्हारे भीतर कुछ भी जंजाल भर सके जिससे मीडिया मंडी का कारोबार तो आगे बढ़े लेकिन तुम एक मीडियाकर्मी क्या संवेदनशील नागरिक कहलाने लायक़ न रह जाओ.
मैं तुमसे अंतिम फैसले तक पहुंचने से पहले इसलिए विचार करने कह रहा हूं क्योंकि तुम्हारे सीनियर और सुपर सीनियर ने इस पेशे को बूचड़खाने में तब्दील कर दिया है जहां लोकतंत्र के रेशे रोज कुचले जाते हैं और जहां सनक को योग्यता में तब्दील कर दिया गया है. क्या तुम बिना दिल और दिमाग़ के ये काम क्या, ज़िंदा रह पाओगे.