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मानवीय सरोकारों के रचनाकार थे शरद जोशी:डॉ हांडे

डॉ वागीश सारस्वत की पुस्तक “व्यंग्यर्षि शरद जोशी” का लोकार्पण

मुंबई। वागीश सारस्वत की समीक्षा कृति व्यंग्यर्षि शरद जोशी का लोकार्पण कल मुंबई विश्वविद्यालय बी सी यू डी के निदेशक डा राजपाल हांडे ने किया। मुंबई विश्वविद्यालय के फिरोजशाह मेहता सभागार में मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग व लोकमंगल के संयुक्त तत्वावधान में डॉ वागीश सारस्वत की समीक्षा कृति का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। इसके मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डॉ राजपाल हांडे ने शरद जोशी को जीवन की कड़वी अनुभूतियों का सच्चा रचनाकार बताया।

पुस्तक लोकार्पण के उपरांत उन्होने कहा कि डॉ वागीश सारस्वत ने यह पुस्तक लिखकर साबित कर दिया है कि व्यंग्यकार शरद जोशी मानवीय सरोकारों के रचनाकार थे। डॉ हांडे ने इस पुस्तक को विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बताते हुए कहा कि मुंबई विश्वविद्यालय व उसका हिंदी विभाग हमेशा से ऐसे कार्यों को प्रोत्साहित करता रहा है।

अभिनेता व कवि शैलेश लोढा ने शरद जोशी के विषय चयन, विस्तार और गहराई को अपने रचनाकर्म में उभारने की दक्षता को रेखांकित करते हुए कहा कि वे आम जीवन के सजग रचनाकार थे। सामान्य बात से शुरू होकर बड़ी बात तक अपने व्यंग्य को ले जाना शरद जोशी का कौशल था। लोढा के मुताबिक डॉ वागीश सारस्वत ने शरद जोशी के व्यक्तित्व व् कृतित्व का खूबसूरत चित्रण किया हैं और यह पुस्तक लिखकर उन्होंने सिद्ध किया है कि व्यंग्य लिखना आसान नहीं है। दिल्ली से इस कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से पधारे व्यंग्य यात्रा के संपादक प्रेम जनमेजय ने इस समरोह को व्यंग्य यात्रा के शरद जोशी विशेषांक का लौन्चिंग पैड बताते हुए वागीश सारस्वत की कृति की प्रशंसा की।

 नवनीत के संपादक विश्वनाथ सचदेव ने शरद जोशी के छोटे वाक्यों की सरचना का जिक्र करते हुए वागीश के समीक्षा कर्म की सराहना की। व्यंग्यकार डॉ सूर्यबाला ने इस पुस्तक को व्यंग्य पर एक गंभीर पुस्तक माना और कहा कि इस पुस्तक के बाद संभव है कि लोग व्यंग्य विधा को गंभीरता से लेने लगे। डॉ रामजी तिवारी ने पुस्तक पर विस्तार से चर्चा करते हुए व्यंग्यऋषि शरद जोशी नाम की सार्थकता को परिभाषित किया और कहा कि वागीश ने पुस्तक को यह शीर्षक देकर ही शरद जोशी के लेखन के महत्त्व का संकेत कर दिया है।
मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष करुणाशंकर उपाध्याय ने अतिथियों का परिचय देते हुए बीज वक्तव्य दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ माधव पंडित ने किया। गोपाल शर्मा, डॉ दयानंद तिवारी व डॉ सीमा भूतड़ा ने पुस्तक पर समीक्षात्मक वक्तव्य प्रस्तुत किया। डॉ अनंत श्रीमाली व संजीव निगम ने शरद जोशी की व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। इसके अलावा महाराष्ट्र नव निर्माण महिला सेना की उपाध्यक्ष रीटा गुप्ता, प्रख्यात कवियत्री माया गोविन्द, कथाकार सुमन सारस्वत, मनमोहन सरल, ओमप्रकाश तिवारी, अनुराग त्रिपाठी, सुरेश शुक्ला आदि उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत सोनम गुप्ता, संगीता जैसवाल, अपूर्वा कदम और प्रियंका काम्बले ने पुष्प गुच्छ देकर किया। लोकमंगल के उपाध्यक्ष कन्हैयालाल शराफ ने व्यंग्यात्मक शैली में अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

 

 

 

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सम्पादक

डॉ. लीना