मीडिया में व्याप्त भ्रष्टाचार, अन्याय, शोषण के खिलाफ उठाई है आवाज
भ्रष्टाचार, अन्याय ,शोषण के खिलाफ की लड़ाई अब दिल्ली के जंतर मंतर से होगी भ्रष्टाचार, रेप, शोषण, अन्याय के खिलाफ मीडिया न्यूज़ और व्यूज देने में सबसे आगे रहता है, लेकिन मीडिया जगत के अन्दर इस मुद्दे पर कभी चर्चा नहीं होती। राशन के नाम पर युवाओं का शोषण होता है।
आज टाइम्स ऑफ़ इंडिया (पेज-19) और हिंदुस्तान टाइम्स में रिपोर्टर की वास्तविक स्थिति क्या है इस पर एक रिपोर्ट आया है जिसमे कहा गया है की रिपोर्टर की स्थिति कचरे उठाने वाले से भी बदतर है। मै इससे सहमत हूँ, आज कई ऐसे पत्रकार है जिन्हें कई महीने की मजदूरी नहीं मिली है ,पत्नी, बच्चे, परिवार सभी संघर्ष करके जीवन यापन करने पर विवश है। ऐसे पत्रकारों से यही उम्मीद है कि अपनी आवाज को दबने नहीं दे और पूरे अधिकार से अपने हक की लड़ाई लड़े। कोई भी संस्थान कर्मचारियों के ही सहयोग से आगे बढ़ सकता है। युवा वर्ग का उत्पीडन किया जाना पत्रकारिता के दामन पर दाग जैसा है। युवा भी अब बहुत तंग आ चुका हैं इस तरह के उत्पीडन से। स्त्रियों का मानसिक और शारीरिक शोषण करना पत्रकारिता के चुनरी में दाग है, अब स्त्री भी नहीं सहेगी ये शोषण। सभी पत्रकार जो इमानदारी से आगे बढ़ाना चाहते हैं वो सभी इस मुद्दे पर मीडिया जगत में बहस छेड़े। अगर लोकपाल बिल पर बहस हो सकती है, अनशन और धरना प्रदर्शन किया जा सकता है , बलात्कार के विरोध में पुलिस की लाठी खाकर भी स्त्री सुरक्षा के मूद्दे पर संसद को झुकाया जा सकता है तो मीडिया में व्याप्त बुराई के खिलाफ संघर्ष क्यूँ नहीं किया जा सकता है, भले ही इस संघर्ष को एक तबका दबाने का प्रयास करें। मसलन अब पत्रकारिता में व्याप्त अन्याय के विरुद्ध संघर्ष और आन्दोलन करने का उचित समय आ गया है।
(जीतेन्द्र कुमार ज्योति द्वारा जारी विज्ञप्ति )
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