आयोजित हुआ मैथिली - भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा तीन दिवसीय “साहित्यिक पर्व"
दिल्ली। कथाकार मनोज भावुक को बहुत कम लोग जानते हैं। उनकी लोकप्रियता एक कवि एवं फिल्म समीक्षक के रूप में ही ज्यादा मुखर रही है। गत दिनों मैथिली - भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय '' साहित्यिक पर्व'' में मनोज का कथाकार रूप प्रकट हुआ जब वह एकल कथा पाठ के अंतर्गत अपनी प्रेम कहानियों का अभिनेयता के साथ पाठ कर रहे थे। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने पर कैसे दो प्रेमी बिछुड़ते हैं और फिर किन विषम परिस्थितियों में उनका मिलन होता है, इसका बहुत ही मार्मिक चित्रण मनोज ने अपनी प्रेम कहानी '' कहानी के प्लाट '' में किया है। भउजी के गाँव , तेल नेहिया के, लड़ेले त अंखिया बथेला करेजवा काहे और तहरे से घर बसाइब मनोज की अन्य प्रेम कहानियां हैं जो नब्बे के दशक में भोजपुरी साहित्य जगत में चर्चा के केंद्र में थीं और मनोज भावुक एक युवा कहानीकार के रूप में स्थापित हो चुके थे ''तहरे से घर बसाइब'' कहानी पर तो पटना दूरदर्शन द्वारा 1999 में भोजपुरी सीरियल भी टेलीकास्ट किया गया था, जिसमें पटकथा, संवाद व गीत मनोज ने ही लिखा था। बाद में मनोज का रूझान गीत - ग़ज़ल व कविताओं की ओर हुआ और वह एक कवि के रूप में लोकप्रिय हैं।
अकादमी द्वारा आयोजित इस कविता पाठ, कहानी पाठ एवं संगोष्ठियों में भी मनोज भावुक छाये रहे। श्रोताओं के विशेष अनुरोध पर एकल कहानी पाठ करने आये मनोज भावुक को सस्वर कविता पाठ व ग़ज़ल पाठ भी करना पड़ा। संस्था के सचिव राजेश सचदेवा व मुख्य अतिथि गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव ने मनोज के रचनाओं की जमकर तारीफ़ की। मनोज भावुक भोजपुरी के एक प्रमुख आलोचक, कवि, चिन्तक और कथाकार हैं और एक प्रतिभाशाली टीवी एंकर के रूप में भी वे दर्शकों में बहुत लोकप्रिय हैं।
प्रस्तुति- अनूप तिवारी