Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

मीडिया की शुचिता बरकरार रहनी चाहिये: चौधरी अजीत सिंह

डॉ. मुकुल श्रीवास्तव और डॉ. ऋतेश चौधरी की पुस्तक ‘‘साये में मीडिया’’ का मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने किया विमोचन

देहरादून। मीडिया की प्रासंगिकता और वर्तमान स्वरूप में उसमें आते बदलाव से परिचित कराती पुस्तक ‘‘साये में मीडिया’’ का आज उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने सुभाष नगर में विमोचन किया। उन्होंने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है और वह समाज को प्रतिविंबित करता है। ऐसे में मीडिया की शुचिता भी बरकरार रहनी चाहिये। यह पुस्तक उसी की एक कड़ी और मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी।

साये में मीडिया पुस्तक के लेखक डॉ. मुकुल श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, लखनऊ विश्वविद्यालय और डॉ. ऋतेश चौधरी, एसोसिएट प्रोफेसर, हिमगिरि जी यूनिवर्सिटी हैं। स्वतंत्र पत्रकार, मीडिया प्रशिक्षक एवं इस पुस्तक के लेखक डॉ. ऋतेश चौधरी ने इस अवसर पर कहा कि यह पुस्तक पूंजी और मुनाफे की होड़ में पीछे छूटते सामाजिक सरोकारों को उद्घृत करती है। सच्चाई यह है कि मीडिया के बारे में जो सम्मान दो दशक पहले तक था, अब वह नहीं दिखाई पड़ता। यह भी सही है कि अभी भी मीडिया ही विकल्प है, जो वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों के लिए उम्मीद बनी हुई है। डॉ. चौधरी ने कहा कि मीडिया की वर्तमान वस्तु स्थिति का जिक्र करती यह पुस्तक एक आईने की तरह है, जिसमें वर्तमान मीडिया का प्रतिविंब देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि शिल्पायन प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित इस पुस्तक कुल 20 चैप्टर है। लोकतंत्र में विज्ञापनों की भूमिका, ख़बरें जो डराती है जैसे विषयों पर इस पुस्तक में गहनता से विवेचना किया गया है। पुस्तक विमोचन के इस अवसर पर श्री भोपाल सिंह चौधरी, श्रीमती सत्यावती देवी, श्री प्रवीन राठी, डा. अरूण कुमार सिंह आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना