‘प्रेस इन इंडिया’ का लोकार्पण करने के बाद श्री जेटली ने कहा कि विशुद्ध खबर देने के सिद्धांत से भटक गए हैं अखबार
नयी दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि आज मीडिया इतना बड़ा हो गया है कि एक ही खबर के कई पक्ष कई रूप सामने उभरकर आते हैं और फिर पाठक को तय करना पड़ता है कि इसमें सच्चाई कहां छिपी है। खबर तथा राय के बीच की रेखा भी बहुत कमजोर हो गयी है।
भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय (आरएनआई) की 59वीं रिपोर्ट ‘प्रेस इन इंडिया’ का आज यहाँ लोकार्पण करने के बाद श्री जेटली ने यह भी कहा कि समाचार पत्र भी विशुद्ध खबर देने के पुराने सिद्धांत से भटक गये हैं। उन्होंने कहा कि न्यूज चैनलों की भीड़ में पाठक असली खबर की तलाश में भटक रहा है और ऐसे में अगर प्रिंट मीडिया को अपनी सशक्त वापसी करनी है तो उसे न्यूज चैनलों की भीड़ में पाठकों को साफ सुथरी खबर बिना किसी राय के, सरल भाषा में देनी होगी।
श्री जेटली ने कहा कि इंटरनेट के आगमन में बाद दुनियाभर में प्रिंट मीडिया का सर्कुलेशन स्थायी हो गया है या फिर घट रहा है। केवल भारत ही इसका अपवाद है क्योंकि हमारे यहां क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दोनों प्रकार का प्रिंट मीडिया है। क्षेत्रीय खबरों में पाठकों की बहुत रुचि होती है। दैनिक प्रिंट मीडिया में जो करीब आठ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है उसमें क्षेत्रीय अखबारों का बहुत बड़ा योगदान है। किसी भी लोकतंत्र में प्रिंट मीडिया का विस्तार देश के और पाठकों के हित में है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि प्रिंट मीडिया के लिये यह अपनी वापसी करने का उचित अवसर है। टीवी चैनलों पर होने वाली चर्चा के बाद पाठक वास्तविक समाचार की तलाश में घूमता है और ऐसे में प्रिंट मीडिया के पास अवसर है कि वह असली खबर को बिना किसी राय के पाठक तक पहुंचाये। अगर प्रिंट मीडिया को भारत में बढ़ते रहने का ट्रेंड कायम रखना है तो उसे ऐसा करना ही होगा।
उन्होंने कहा कि आरएनआई की इस वर्ष की रिपोर्ट में सबसे दिलचस्प आंकड़ा यह है कि पिछले वर्ष की तुलना में अखबारों के पंजीकरण की संख्या करीब साढे पांच प्रतिशत बढ़ी है। दैनिक समाचार पत्रों की संख्या करीब आठ प्रतिशत बढ़ी है जबकि पत्रिकाओं की संख्या में कमी आयी है। इससे एक बात स्पष्ट है कि जबसे इंटरनेट और पत्रिकाओं का दौर चला है तबसे मैगजीन जर्नलिज्म समाप्त हो रहा है क्योंकि उसके वैकल्पिक तरीके आ गये हैं।
श्री जेटली ने कहा, “दुनिया तेजी से बदलती है और जीवित खबरों की आयु एक सप्ताह नहीं होती है। आज टीवी और सोशल मीडिया में हर मिनट हर घंटे खबरें बदलती हैं। ऐसे में पाठक की रुचि एक सप्ताह बाद उसका विश्लेषण पढ़ने में नहीं रह गयी है। इसलिये मैगजीन जर्नलिज्म को अब एक दूसरे स्वरूप में जीवित करना पड़ेगा। दुनिया की कई प्रसिद्ध पत्रिकाएं अब केवल ऑनलाइन रह गयी हैं। ऐसे में प्रिंट मीडिया को अपने आप में चुनौती है।”