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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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जनपक्षीय पत्रकारों पर मोदी सरकार के हमले के खिलाफ नागरिक प्रतिवाद

पटना/  दिल्ली में कई पत्रकारों के घरों पर छापेमारी और उन्हें हिरासत में लिए जाने की निंदनीय घटना के खिलाफ आज पटना में एआइपीएफ के बैनर से जगजीवन राम संस्थान से सतमूर्ति तक नागरिक प्रतिवाद मार्च निकाला गया. इस मार्च में भाकपा-माले के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, जदयू के मुख्य वक्ता श्री नीरज कुमार, बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, सीपीएम नेता अरूण कुमार मिश्रा, प्रकाश लुईस, सत्यनारायण मदन, राजाराम सिंह, केडी यादव, मीना तिवारी, धीरेन्द्र झा, शशि यादव सहित शहर के कई पत्रकारों-बुद्धिजीवियों और शिक्षकों ने हिस्सा लिया.

का. दीपंकर ने इस मौके पर कहा कि मोदी सरकार द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता पर लगातार हमला जारी है. जिन पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस द्वारा छापा मारा गया है, वे दशकों से निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं और हमेशा से ही सत्ता को आईना दिखाने का काम करते रहे हैं.

ऐसे पत्रकारों पर छापेमारी करके केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस न केवल इन पत्रकारों को जनसरोकारों के पक्ष में खड़े रहने के लिए धमकाने की कोशिश कर रही है बल्कि वह, इनसे इतर भी जो पत्रकार जनसरोकारों से जुड़े हैं, उन्हें भी भयाक्रांत करने की कोशिश कर रही है. इससे साफ है कि केंद्र की मोदी सरकार देश में केवल अपना गुणगान करने वाला चारण मीडिया चाहता है, जिसे लोकप्रिय तौर पर गोदी मीडिया कहा जा रहा है.

श्री नीरज कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार की इस कार्यवाही के बाद दुनिया भर में प्रेस स्वतंत्रता के मामले में देश की साख और रसातल को जाएगी. हम तत्काल मीडिया की स्वतंत्रता पर हमले की इस कार्यवाही को रोके जाने की मांग करते हैं. धरातल की हलचल के संदेशों को सामने लाने वाले संदेशवाहक मीडिया का शिकार करने के बजाय, मोदी सरकार को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और इस मुल्क में बीते साढ़े नौ साल से बरपाई गयी तबाही के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.

मार्च में इन नेताओं के अलावा पत्रकार हेमंत कुमार, विधायक संदीप सौरभ, महानंद सिंह, गोपाल रविदास, अभय पांडेय, कमलेश शर्मा, संतोष सहर, संतोष आर्या, पुनीत, गालिब, दिव्या गौतम, विकास यादव, कुमार दिव्यम, निशांत कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.

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सम्पादक

डॉ. लीना