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दूसरा पीयूष किशन युवा पुरस्कार नामांकन15 नवम्बर तक

दूसरा पीयूष किशन युवा पुरस्कार 2013 (दूसरे पीयूष किशन युवा पुरस्कार-2013 के लिए संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे युवाओं के नामांकन (नोमिनेशन) 15 नवम्बर 2013 तक आमन्त्रित है।

17 दिसम्बर 1988 को बिहार के एक छोटे से कस्बे जमालपुर में पीयूष (माता-श्रीमती कुमकुम कुमारी, पिता-श्री किशन कालजयी) बचपन से बेहद जिन्दादिल इन्सान थे। परिवार और दोस्तों के अभिमान व सम्बल के मजबूत स्तम्भ रहे पीयूष किशन की प्रारम्भिक शिक्षा जमालपुर में और उच्च शिक्षा दिल्ली और मुम्बई में हुई। वे क्रिकेट के राज्य स्तरीय खिलाड़ी थे। उनका दृढ विश्वास था कि एक खिलाड़ी को अपने खेल से प्यार करना चाहिए; उसे खुद की सन्तुष्टि और आनन्द के लिए खेलना चाहिए न कि जीत के लिए।

खेल और शिक्षा के अलावा उनका पूरा समय दोस्तों के साथ सामाजिक कार्यों और दूसरों की खुशियों से जुड़ा रहा। हर इन्सान की तरह पीयूष भी अपने जीवन में मुश्किल भरे दौर से गुजरा पर वो कभी भी मुश्किलों से भागा नहीं बल्कि आत्मविश्वास और धैर्य के साथ उसने उनका सामना किया। वे गलतियों को स्वीकार कर उसमें सुधार करने की नीति में विश्वास करते थे। यह उनकी जिन्दादिली ही थी जिसने उन्हें दूसरों के लिए जीने के लिए प्रेरित किया। वो इसमें इतने तल्लीन रहते थे कि उन्होंने उदासी और दुःख को कभी अपने आस-पास फटकने तक न दिया। अपनी इसी व्यक्तित्व के कारण वे सभी परिचितों के चहेते और प्यारे थे।

जीवन को उत्सव की तरह जीने वाले पीयूष किशन खुशियों में दृढ विश्वास रखते थे। जीवन के प्रतिसकारात्मक दृष्टिकोण प्रत्येक बाधा पर विजय पाने में उनकी मदद करता। वे राष्ट्रीय मासिक पत्रिका‘सबलोग’के प्रबन्धक भी थे। 30 जनवरी 2012 को मुम्बई में एक रेल दुर्घटना में उनका असामयिक निधन हो गया। मित्रों, 17 दिसम्बर 2013 (पीयूष किशन का जन्मदिवस) के दिन हम ‘पीयूष किशन युवा पुरस्कार’ के माध्यम से उस शख्स का सम्मान करना चाहते है, जो जीवन को पीयूष किशन की ही तरह जिन्दादिली से जीता हो; जीवन के सभी क्षेत्रों में सन्तुलन और सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाला हो; एक ऐसा शख्स जिसके शब्दकोश में ‘इसे छोड़ दो’ या ‘मैं इसे छोड़ रहा हूँ’ जैसे शब्द ही न हो।

वस्तुतः यह सम्मान युवा खिलाड़ी, कलाकार और प्रबन्धशास्त्र के मेधावी छात्र पीयूष किशन की स्मृति में हर वर्ष एक ऐसी सम्भावनाशील युवा प्रतिभा को दिया जाता है जो जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए समाज के विविध क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं।

पहला पीयूष किशन युवा पुरस्कार-2012 ऐसी ही एक शख्सियत युवा सामाजिक कार्यकर्ता रामाशंकर कुशवाहा को उनकी उल्लेखनीय सामाजिक सेवाओं के लिए प्रदान किया गया था। रामाशंकर कुशवाहा मूलतः गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) के हैं और उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में और उच्च शिक्षा वाराणसी व दिल्ली में हुई। महाविद्यालयी दिनों से ही वे आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को खेल और शिक्षा सम्बन्धी सुविधाएँ मुहैया करवा रहे हैं, उन्हें शिक्षा से जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं। वे बच्चों और विधवाओं के साथ काम करने वाली प्रसिद्ध संस्था ‘सम्पर्क सोसायटी’ के अध्यक्ष हैं।

किशन कालजयी ने बताया कि  पुरस्कार निर्णायक समिति और संवेद फाउण्डेशन ने दूसरे पीयूष किशन युवा पुरस्कार-2013 के लिए ‘संगीत’ के क्षेत्र को चुना है। इसलिए दूसरे पीयूष किशन युवा पुरस्कार-2013 के लिए हम आप सबसे संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे युवाओंके नामांकन चाहते है। आपमें से प्रत्येक इस सम्मान के लिए उस व्यक्ति का नाम सुझाए/प्रस्तावित करे, जिसके बारे में आप यह सोचते है कि संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय हस्तक्षेप करने वाला युवा इस सम्मान के लिए सर्वथा उपयुक्त है।

इस सम्मान के लिए उपयुक्त चयन-प्रक्रिया और मतदान प्रणाली के साथ-साथ एक निर्णायक मण्डली का भी गठन किया गया है, जो आप सबके द्वारा भेजे गए नामांकनों में से मतदान द्वारा चुने गए अन्तिम पाँच प्रतिभागियों में से किसी एक का चयन करेगी।

 तृप्ति पाण्डेय (समन्वयक, पुरस्कार निर्णायक समिति) http://samvedfoundation.blogspot.in/ (संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे युवाओं के नामांकन (नोमिनेशन) 15 नवम्बर 2013 तक आप सीधे 'संवेद फाउण्डेशन' <samved.foundation.india@gmail.com>, तृप्ति पाण्डेय TriptiPandey<pandey.tipti27@gmail.com> व किशन कालजयी KishanKaljayee<kishankaljayee@gmail.com> को ईमेल कर सकते है। ध्यान रहे उक्त नामांकन में नामांकित युवा और उसके कार्यो का पूरा परिचय अनिवार्यतः शामिल हो।)(किशन कालजयी के फेसबुक से )। 

 

 

 

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सम्पादक

डॉ. लीना