पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी सम्पन्न, मीडिया प्रबंधन विभाग का आयोजन
भोपाल। रचनात्मकता मानव एवं समाज के लिए हितकारी होना चाहिए। सृष्टि अनुकूल रचनात्मक प्रस्तुति होनी चाहिए। रचनात्मकता को प्रदर्शित करते समय ध्यान रखना चाहिए कि वह सामाजिक जरूरतों के हिसाब से बना हो। आज समाज में मीडिया प्लानिंग के बदले कम्यूनिकेशन प्लानिंग की आवश्यकता है। नवाचारी मीडिया के साथ संवाद प्रस्तुति की रणनीति पर कार्य किया जाना चाहिए। यह विचार आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में मीडिया प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी के समापन सत्र में कल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने व्यक्त किए।
संगोष्ठी के समापन सत्र में उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास के बावजूद दुनिया के अधिकांश जगहों पर मीडिया की पहूंच नहीं है। दुनिया की बहुत ही कम आबादी मीडिया से एक्सपोज होती है। संगोष्ठी में मीडिया प्रबंधन की नीति विषय पर उन्होंने कहा कि संचार नीति का उदाहरण हमें महाभारत काल में भी देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण के कुशल संचार नीति के कारण ही पांडवों ने महाभारत युद्व में अश्वथामा हाथी की मौत को महारथी अश्वथामा की मौत घोषित कर पुरा महाभारत का रूख बदल दिया ।
कार्यक्रम की विशिष्ठ अतिथि बीएसएनएल भोपाल के महाप्रबंधक महेश शुक्ला ने मीडिया की ताकत को बताते हुए कहा कि आज मीडिया में कंटेंट की जैसी प्रस्तुति होती है, वैसी ही बाजार में उत्पाद की मांग होती है। उन्होंने कई शोधों के संदर्भ से कहा कि जब कोई चीज बाईस बार हमारे सामने से गुजरती है तो वह हमारे मस्तिष्क में अपना घर बना लेती है। हमारी वहीं जरूरत बन जाती है। उन्होंने कहा कि किसी भी विज्ञापन की आवृति इतनी होनी चाहिए कि वह भावी उपभोक्ता को प्रभावित कर दें।
मीडिया प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में दूसरे दिन चौथे सत्र में रमानी ग्रुप ऑफ कम्पनीज के एचआर हेड श्री निर्मल सिंह राघव ने नये वेंचर को स्थापित करने में आने वाली समस्याओं को विद्यार्थियों के सामने रखा। उन्होंने कहा कि एक संगठन मानव शरीर की तरह होता है। संगठन के सभी विभाग मानव शरीर के अंगों की तरह ही कार्य करते है। किसी भी संगठन के लिए आवश्यक है कि उसका ध्येय सामाजिक दृष्टि को आगे ले जाने वाले हो। श्री राघव ने नये वेंचर के संबंध में क्या, क्यों और कैसे का महत्व विद्यार्थियों को बताया।
वहीं दूसरे दिन पांचवे सत्र में मध्यप्रदेश सरकार के तकनीकी सलाहकार श्री रजत पाण्डेय ने कहा कि सही तकनीक का उपयोग सही समय पर करना सही होता है। व्यक्ति को आधुनिक तकनीक से हमेशा जुडे़ रहना चाहिए। उसे सीखने में शर्मा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति समय के साथ अपडेट होता है तो वह अपने हिसाब से बाजार का उपयोग करता है। उन्होंने कहा कि बाजार में विपणण को अपने तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।
संगोष्ठी के छठे सत्र में फिल्म के प्रमोशन और प्रचार की रणनीति विषय पर फिल्म पटकथा लेखक एवं निर्देशक श्री विनीत जोशी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित किया। उन्होंने बताया कि फिल्म की पूरी बजट में आधे की हिस्सेदारी मीडिया नेट, मीडिया मैनेजमेंट, मीडिया में प्रचार–प्रसार की होती है। उन्होंने फिल्म उद्यागे में कार्यशैली की चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को बताया कि प्रोडक्शन हाउस में कुशल कार्य करने वालों की हमेशा मांग रहती है। उन्होंने महेन्द्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी हिन्दी फिल्म एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी के संदर्भ में विद्यार्थियों को तकनीकी और गैर तकनीकी रूप से फिल्म प्रमोशन और वितरण पर मार्गदर्शित किया।
वहीं सातवें सत्र में सिनेमैटोग्राफी की आवश्यकता और उपयोगिता विषय पर अनिमेष फिल्म प्रा. लिमिटेड के सीईओ अविनाश त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। श्री त्रिपाठी ने कैमरा हैडलिंग और उसके बारीकियों पर चचा करते हुए कहा कि कैमरा किसी कलाकार की रचनात्मकता को दर्शाने का शस्त्र है। उन्होंने सिनेमैटोग्राफर की कौशलता पर बताया कि उसे हमेशा एक विचार को नया आकार देने रचनात्मक दृष्टि होनी चाहिए। उन्होंने विश्व सिनेमा के उदाहरण के माध्यम से सिनेमैटोग्राफी की महता को विद्यार्थियों के सामने रखा।
संगोष्ठी के अंतिम और समापन सत्र में दो दिवसीय संगोष्ठी की रिपोर्ट मीडिया प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अविनाश वाजपेयी ने अतिथियों और विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया।