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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पत्रकारिता का क्षेत्र फैशन नहीं पैशन है

लिम्का बुक में दर्ज भारत की प्रथम मीडिया डायरेक्टरी "पत्रकारिता कोश" का लोकार्पण

समाचार माध्यम समाज के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम : डॉ. नरेशचंद्र, प्र-कुलगुरू, मुंबई वि.वि.

मुंबई। समाचार माध्यम समाज के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम है। आज के बदलते दौर में समाचार माध्यम को नए दृष्टिकोण से देखना होगा तभी हमारे समाज का विकास हो सकता है। यह बातें मुंबई विश्वविद्यालय के प्र-कुलगुरू डॉ. नरेश चंद्र ने कही। वे मुंबई विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग द्वारा आयोजित लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज आफताब आलम द्वारा संपादित भारत की प्रथम मीडिया डायरेक्टरी "पत्रकारिता कोश" के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। डॉ. नरेश चंद्र ने कहा कि पत्रकार हमेशा सकारात्मक सोच रखें और अपने साथियों को लेकर हम और किस तरह आगे बढ़ सकते हैं इस ओर ध्यान देकर अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास करें।

"जन्मभूमि" के संपादक कुंदन व्यास ने "पत्रकारिता कोश" के 13 वर्षों से नियमित प्रकाशन को भगीरथ प्रयास बताया और कहा कि यह कोश देश के सभी राज्यों के बीच संवाद का सेतु है। श्री व्यास ने कहा कि आज पत्रकारिता का क्षेत्र आकर्षण का क्षेत्र हो गया है लेकिन यह फैशन नहीं पेशन है । देश से ढेर सारी पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन लोकतंत्र के जीवित होने का प्रमाण है । पत्रकारिता के क्षेत्र में पहले जो गंभीरता थी वह आज नहीं है अब पत्रकारिता मनोरंजन की दुनिया बन गई है जो शर्म और चिंता का विषय है । भारत में लोकतंत्र को जिंदा रखना है तो प्रहरी बनकर और जागरूक होकर हमें काम करना होगा।

"दोपहर का सामना" के कार्यकारी संपादक प्रेम शक्ल ने भविष्य की तकनीक के साथ पत्रकारिता कोश को और उपयोगी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहले पत्रकारिता उत्पादकता के दौर में नहीं थी लेकिन आज प्रभावोत्पादकता के उत्तम दौर से गुजर रही है। आज हम लोकतंत्रीय सर्वश्रेष्ठ स्थिति में हैं। प्रेस जिम्मेदार हो गया है। कहने को इसे लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण चौथा स्तंभ कहा जाता है परंतु इसकी कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। तीन स्तंभों-न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका को कानूनी मान्यता है, अधिकार हैं परंतु ये तीनों अब प्रेस को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। प्रेस के नाम से रूदन कर रहे हैं जबकि प्रेस दीप स्तंभ का काम कर रहा है। व्यवस्था का कोई अंग निष्कलंक नहीं है इसलिए अब आम आदमी प्रेस की तरफ बहुत आशाओं से देखते हैं। आज पत्रकारिता के सकारात्मक पक्ष को सबके सामने रखने की आवश्यकता है ।

"प्रहार" के संपादक महेश म्हात्रे ने कहा कि देश में जनजागरूकता लाने के लिए अखबारों को साथ लेना ही होगा । पहले यह पवित्र और सम्मानजनक कार्य था। यह कार्य करते हुए गर्व महसूस होता था, अब बोलने में लज्जा आती है । ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर विचारवान पत्रकारों को नीति-निर्देश तय करने होंगे कि आखिर हम क्या चाहते हैं। आज मुठ्ठी भर लोगों के हाथों में देश की संपत्ति कैद हो गई  है और बदलते समय की किसी को परवाह नहीं है। ऐसे में अब दूसरी आज़ादी के लिए लोगों को संघर्ष करना होगा।

"मुंबई मित्र/वृत्त मित्र" के समूह संपादक अभिजीत राणे ने पत्रकारिता कोश को एक ऐसा पुल बताया जो देश के लेखक-पत्रकारों को एक मंच पर लाता है। उन्होंने कोश का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होने पर कोश की पूरी टीम को बधाई दी। "दैनिक जागरण" के विशेष संवाददाता ओमप्रकाश तिवारी ने पत्रकारिता कोश को राज्यवार प्रकाशित करने का सुझाव दिया।

समारोह में पी अजय कुमार (कंसल्टिंग एडीटर, बिजनेस भास्कर), मो. अक़लीम शेख (समाचार संपादक, राष्ट्रीय सहारा-उर्दू), सैयद सलमान (मुख्य कार्यकारी संपादक, लेमन न्यूज चैनल), जयप्रकाश सिंह (ब्यूरो चीफ, इंडिया टीवी), सुरेशचंद्र जैन (राजभाषा अधिकारी, राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरी संस्थान), कलीमउल्लाह खान (सहा. निदेशक-राजभाषा, एमटीएनएल, मुंबई), डॉ. वैभव देवगिरकर (मुंबई अध्यक्ष, ह्यूमन राइट्स एसो. फॉर प्रोटेक्शन), अरविन्द शर्मा राही (अध्यक्ष, श्रुति संवाद  साहित्य कला अकादमी), घनश्याम गुप्ता (महासचिव, जे.बी. शाह मार्केट वेलफेअर एसोसिएशन),डॉ. दृगेश यादव (अध्यक्ष, जयहिन्द फाउण्डेशन), आदि सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान नवचिंतन संस्था तथा विकलांग की पुकार समाचारपत्र की ओर से समाज के विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देनेवालों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। पत्रकारिता कोश से संबंधित सूचनाओं को एकत्रित करने के लिए श्रेष्ठ सूचना प्रभारी सम्मान-2013 उत्तर प्रदेश के मो. हबीब अलवी को प्रदान किया गया।

कार्यक्रम की प्रस्तावना और स्वागत भाषण मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. करूणाशंकर उपाध्याय ने किया जबकि  संचालन डॉ. अनंत श्रीमाली (सहा. निदेशक, केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण उप संस्थान) ने किया। आभार ज्ञापन कोश के सहायक संपादक राजेश विक्रांत ने किया।

 

 

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना