केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट का स्वर्ण जयंती समारोह
कोच्चि/ प्रधानमंत्री ने कहा है कि असम में हाल की हिंसा और और इसकी प्रतिक्रिया में देश के अन्य भागों में हुईं घटनाएँ चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि आज़ादी का मतलब यह नहीं है कि सामाजिक शांति और सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जाए। उन्होंने कहा कि मीडिया को भी सनसनी फैलाने वाली सामग्री देने से बचना चाहिए। कोच्चि मे केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के स्वर्ण जयंती समारोह में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने विभिन्न संप्रदायों और समूहों के बीच सद्भाव बढ़ाने के प्रयास करने और सतर्कता बरतने पर ज़ोर दिया। इस अवसर पर केरल के मुख्यमंत्री ओम्मन चाँदी, केंद्रीय मंत्री एके एटोनी, व्यालार रवि, प्रो वी के थॉमस, ई अहमद और के सी वेणुगोपाल उपस्थित थे
उन्होंने कहा कि इस कार्य में मीडिया की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। इसकी रिपोर्टिंग और राय निष्पक्ष, उद्देश्यपूर्ण और संतुलित होनी चाहिए। सनसनीखेज खबरें बनाने की इच्छा से बचा जाना चाहिए भले ही यह कभी-कभी बहुत आकर्षक होती है। हमारे समाज और देश को बांटने से संबंधित कुछ भी लिखने में संयम बरतते हुए और इसके प्रसारण से बचने का प्रयास किया जाना चाहिए। दूसरी ओर, समुदायों और क्षेत्रों के अंतर को दूर करते हुए संपर्क बनाने के लिए जागरूक प्रयास किए जाने चाहिए। इस मामले में स्थायी मूल्यों से अधिक कुछ भी नहीं है जिनके माध्यम से जिम्मेदार पत्रकारिता को स्थापित किया जाता है और केरल पत्रकार संघ इसे प्रोत्साहन दे रहा है।
प्रधानमंत्री ने यहाँ पिछले 50 वर्ष में जिम्मेदाराना और रचनात्मक पत्रकारिता में केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि केरल में जीवंत और स्वतंत्र मीडिया है। यहां के पत्रकारों ने मीडिया के क्षेत्र में पूरे विश्व में अपनी जगह बनाई है। मलयालम अखबरों ने पूरे भारत में स्वतंत्र मीडिया के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है। केरल के अधिकतर पुराने अखबारों की शुरूआत स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुई थी। केरल के तीन अखबारों 'दीपिका', 'मलयाला मनोरमा' और 'केरल कौमुदी' को प्रकाशित होते हुए अब 100 से अधिक वर्ष हो गए हैं। एक अन्य दैनिक, मातृभूमि जल्द ही अपने 100 साल पूरे कर लेगा।
हालांकि भौगोलिक दृष्टि से छोटा राज्य होने पर भी केरल में 10 समाचार-पत्र प्रकाशित होते हैं जिसमें प्रत्येक की दैनिक बिक्री 100,000 से अधिक है। इसके साथ मलयाला मनोरमा और मातृभूमि के पाठकों की संख्या 1 करोड़ से अधिक है।
प्रसारण के क्षेत्र में किसी क्षेत्रीय भाषा में पहला सैटेलाइट चैनल, एशियानेट केरल से संबंधित है। आज राज्य में पांच, 24 घंटे वाले न्यूज चैनल सहित 10 से अधिक चैनल हैं। इससे पता चलता है कि इस राज्य के लोगों के जीवन में मीडिया काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अत: केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट की न केवल पेशेवर क्षमता को बढ़ावा देने बल्कि केरल में रहने वाली पत्रकारों की बड़ी बिरादरी को नैतिक शिष्टाचार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही पत्रकारों के क्षेत्र में आ रही समस्याओं को हल करने तथा उनके कल्याण को बढ़ावा देने पर भी वे ध्यान देते हैं ।
हमें अपने लोकतंतत्र पर गर्व है जो गंभीर चुनौतियों के बावजूद निखरा है। हमारे देश में कई धर्म, भाषाएं और विचारधाराएं है। स्वतंत्रता के साथ विभिन्न मत भारतीय समाज और भारतीय राज्य व्यवस्था की निर्धारक विशेषताओं में से एक है। ऐसे समाज और राज्यवयवस्था को बनाए रखने के लिए एक स्वतंत्र और जिम्मेदार मीडिया होनी चाहिए।
हमें
गर्व है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी है। हमारे देश में मीडिया सिर्फ जनता की राय का एक विश्वसनीय पैमाना
ही नहीं है बल्कि यह हमारे राष्ट्र की अंतरात्मा का प्रतीक भी है।
आज हमारा देश कुछ कठिन समय से गुजर रहा है। पिछले कुछ महीनों में
हुईं दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं ने हमारे समाज
में चिंताजनक दोषों को उजागर किया है। असम
में हुई दु:खद घटनाएं और उसके बाद मुंबई, पुणे, बंगलौर,
चैन्नई, हैदराबाद और अन्य स्थानों पर हुई
प्रतिक्रियाएं दिखाती है कि हम सामाजिक शांति
और सौहार्द को खराब करने वाले वातावरण को बर्दाश्त नहीं कर सकते और ना ही करना चाहिए। हमें निरंतर सतर्क रहते हुए
व्यापक साम्प्रदायिक सद्भाव,
अंतर-समूह और अंतर-समुदाय वार्ता एवं समझ को प्रोत्साहन देने की दिशा में लगातार काम करना होगा।
केरल में मीडिया ने लोगों की आकांक्षाओं और जनता की राय दोनों को प्रतिबिंबित किया है। इसने अक्सर नए आयाम स्थापित किये हैं। देश में कहीं भी लंबे समय से विकसित पत्रकारिता की अवधारणा से पूर्व, मलयालम अखबारों के पृष्ठ पंचायती गतिविधियों के साथ सभी स्तरों पर विकास गतिविधियों की खबरों से परिपूर्ण रहे हैं। मुझे बताया गया है किहाल ही में एक मलयालम टीवी चैनल द्वारा प्रस्तुत रियल्टी शो में विभिन्न पंचायतों से संबंधित क्षेत्रों की विकास परियोजनाओं का सफलतापूवर्क प्रदर्शन किया गया। भारत में कहीं भी इस तरह के शो की कल्पना करना वास्तव में कठिन है। केरल में के.सुकुमार, केसरी बालकृष्ण पिल्लई, मामेन मापिल्ला और के.पी.केशव मेनन और शंकर तथा अबु अब्राहम जैसे महान मीडिया पेशेवर हुए हैं। मुझे अपने इस सार्वजनिक जीवन में ऐसे कई लोगों को जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मुझे पूरी उम्मीद है कि केरल से और बहुत से पत्रकार इन प्रतिष्ठित पुरूषों और महिलाओं के पदचिन्हों पर चलेंगे जिन्होंने पत्रकारिता के पेशे को वास्तव में बेहद सम्मान दिया है। (पी आई बी )