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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' हर भारतीय का अपरिहार्य अधिकार: नायडू

पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये 27 को मिला रामनाथ गोयनका पुरस्कार 

नयी दिल्ली/ उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपरिहार्य अधिकार बताते हुए कहा कि इसमें कुछ निश्चित जिम्मेदारियां और सीमाएं भी हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिये रामनाथ गोयनका पुरस्कार वितरण समारोह में श्री नायडू ने संसद में वर्तमान में बहस के दौरान चल रही स्थिति पर कहा कि लोकतंत्र में एक दूसरे के नजरिये को समझना आवश्यक होता है। विपक्ष और सरकार की अपना-अपना मत होता है। श्री नायडू ने यहाँ प्रेस की स्वतंत्रता सूची में विश्व में भारतीय रैंकिंग पर दु:ख जाहिर किया।

समारोह में उपराष्ट्रपति ने प्रिंट और प्रसारण की 25 श्रेणियों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 27 विजेताओं को पुरस्कार दिया।  हिंदी में यह इस बार प्रिंट मीडिया के लिए यह पुरस्कार राहुल कोटियाल को मिला है और टीवी पत्रकारिता के लिए एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार को। वहीं, इंडिया टुडे ग्रुप की तीन पत्रकारों को सम्मानित किया गया है, जिनमें बिपाशा मुखर्जी को स्पोर्ट्स कटेगरी में, मनोज्ञा लोइवाल को अनुवांशिक बीमारी के शिकार बच्चों से संबंधित रिपोर्टिंग करने के लिए और मौमिता सेन को जम्मू एवं कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में रिपोर्टिंग के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया है।

हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर की स्थिति के बारे में छपी रिपोर्ट पर हिन्दुस्तान टाइम्स के अभिषेक साहा ने जम्मू एवं कश्मीर और पूर्वोत्तर श्रेणी में पुरस्कार जीता। तो वहीं ‘अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल’ श्रेणी में मलयाला मनोरमा के एसवी राजेश को केरल के आदिवासी ग्राम पंचायत में गरीबी और अभाव के बारे में छपी उनकी श्रृंखलाबद्ध खबरों के लिए पुरस्कृत किया गया।

ITV नेटवर्क के पत्रकार आशीष सिन्हा और आशीष सिंह, इंडियन एक्सप्रेस की रितु सरीन, पी वैद्यनाथन अय्यर और जय मजूमदार को पुरस्कृत किया गया। ‘फॉरेन कॉरेस्पांडेंट कवरिंग इंडिया’ श्रेणी में बड़े शहरों के सपने का पीछा करने वाली एक ग्रामीण युवती के बारे में रिपोर्ट के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स के एलेन बेरी को पुरस्कृत किया गया।

ब्रिटिश राज के अत्याचारों के मार्मिक वर्णन के लिए शशि थरूर को उनकी पुस्तक ‘एन एरा आॅफ डार्कनेस: द ब्रिटिश एंपायर इन इंडिया’ पर पुस्तक (नॉन-फिक्शन) श्रेणी में पुरस्कार दिया गया।

इस प्रतिष्ठित सम्मान की जूरी में शामिल सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीएम श्रीकृष्ण, एचडीएफसी लिमिटेड के अध्यक्ष दीपक पारेख, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और वरिष्ठ पत्रकार पामेला फिलिपोसे जैसे सुप्रसिद्ध लोग शामिल थे।

रामनाथ गोयनका उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार की स्थापना एक्सप्रेस समूह ने अपने संस्थापक रामनाथ गोयनका के जन्मशताब्दी वर्ष पर हुए समारोहों के दौरान 2006 में की थी। इस पुरस्कार का मकसद पत्रकारिता में उत्कृष्टता, साहस और प्रतिबद्धता की पहचान करना और पूरे देश के पत्रकारों के असाधारण योगदान को सबके सामने लाना है।

समारोह में कांग्रेस के शशि थरूर और अश्वनी कुमार और कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा समेत विपक्ष के कई नेताओं की उपस्थिति में श्री नायडू ने कहा कि लोकतंत्र में एक दूसरे के नजरिये को समझना जरूरी होता है। सभी लोगों को किसी भी मुद्दे पर तर्क, विचार-विमर्श के बाद निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिये। श्री नायडू ने कहा कि “हमें अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता को समझना होगा। यह अधिकार जिम्मेदारियों और एक हद के साथ मिलता है। भारत के संविधान ने हमें यह अधिकार देश की अखंडता और श्रेष्ठता, जनादेश, लज्जा और नैतिकता की जिम्मेदारियों के साथ सौंपा है।

श्री नायडू ने प्रेस की स्वतंत्रता सूची में विश्व में भारतीय रैंकिंग पर दु:ख जाहिर किया।

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सम्पादक

डॉ. लीना