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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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‘काले कानून’ के विरोध में राजस्थान पत्रिका ने संपादकीय खाली छोड़ दिया

जयपुर/ राष्ट्रीय प्रेस दिवस (16 नवंबर) के मौके पर राजस्थान की वसंधुरा सरकार के ‘काले कानून’ पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए राजस्थान पत्रिका अख़बार ने अपना संपादकीय खाली छोड़ दिया।

संपादकीय कॉलम को मोटे काले बॉर्डर से घेरते हुए अखबार ने लिखा है, ‘आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस यानी स्वतंत्र और उत्तरदायित्वपूर्ण पत्रकारिता का दिन है।लेकिन राजस्थान में राज्य सरकार द्वारा बनाए काले कानून से यह खतरे में है।संपादकीय खाली छोड़कर हम लोकतंत्र के हत्यारे ‘काले कानून’ का पूर्ण मनोयोग से विरोध करते हैं।'

गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने दो विधेयक पेश किए थे, जिनको लेकर काफी विवाद और विरोध के बाद इसे विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया, लेकिन वापस नहीं लिया गया है। ये विधेयक- राज दंड विधियां संशोधन विधेयक, 2017 और सीआरपीसी की दंड प्रक्रिया सहिंता, 2017 थे।

इस विधेयक में राज्य के सेवानिवृत्त एवं सेवारत न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों और लोकसेवकों के खिलाफ ड्यूटी के दौरान किसी कार्रवाई को लेकर सरकार की पूर्व अनुमति के बिना उन्हें जांच से संरक्षण देने की बात की गई है।यह विधेयक बिना अनुमति के ऐसे मामलों की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगाता है।

विधेयक के अनुसार, मीडिया अगर सरकार द्वारा जांच के आदेश देने से पहले इनमें से किसी के नामों को प्रकाशित करता है, तो उसके लिए 2 साल की सजा का प्रावधान है।

इसके विरोध में राजस्थान पत्रिका ने कहा था कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जब तक मीडिया और लोकतंत्र का गला घोंटने वाले विवादित विधेयक को वापस नहीं लेतीं, तब तक अखबार उनका बहिष्कार करते हुए उनके या उनसे संबंधित किसी भी समाचार का प्रकाशन नहीं करेगा।

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना