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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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शहीद पत्रकार जगेंद्र सिंह के बहाने

एम अफसर खान/ लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला मीडिया आज बेचैन है, मौन है! लोकतंत्र का पहरुवा आज खुद की पहरेदारी करने में असमर्थ नजर आ रहा है! आजादी के 60 साल से ज्यादा का अरसा बीत गया मगर असली आजादी मृग मरीचिका जैसी है। शाहजहाँपुर के स्वतंत्र (सोशल मीडिया) पत्रकार जगेंद्र सिंह ने इसी आजादी के लिए खुद का बलिदान दे दिया।

सत्ता और पुलिस रूपी चक्की के बीच लोकतंत्र का पहरेदार पीस गया। उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने नारा दिया है... "बन रहा है आज, संवर रहा है कल" बिल्कुल सही है सीएम साहब आपके मंत्री साहेबान का आज तो बन ही रहा है मगर सरकार का कल जरूर ख़राब होता नज़र आ रहा है। सरकार के मंत्री बेलगाम दिख रहे हैं! एक साहब हैं माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री श्री पंडित सिंह जिनका हाल ही में एक टेप वायरल हुवा था जिसमे वो एक युवक को सोशल मीडिया पर अख़बार की कटिंग डालने पर माँ-बहन की गाली देते सुने गए। एक सांसद महोदय का ट्रैक्टर छुड़वाने के लिए तहसीलदार पर दबाव बनाने का ऑडियो वायरल हुवा और एक साहबान है वर्मा जी जिनके खिलाफ सच की आवाज दबाने का आरोप लगा। तारीफ करनी होगी उत्तर प्रदेश पुलिस की भी जो मंत्री जी के इशारे पर बहुत संजीदगी से पत्रकार के खिलाफ हो गयी। मुझे कुछ याद आ रहा है कि कुंडा, प्रतापगढ़ में यूपी पुलिस की मर्दानगी अगर यूँही दिखती तो शायद सीओ जियाउल हक़ को अपनी जान नहीं गवानी पड़ती और प्रदेश में अपराध पर अंकुश लग पाता। आखिर क्या वजह है कि सत्ता पर काबिज लोग अपनी आलोचना से इतना घबराते और बौखला जाते हैं कि सामने वाले का गाला ही घोंटने पर आमादा हैं। आखिर संविधान में नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों का क्या होगा। उनकी स्वतंत्रता का क्या होगा? 
युवा मुख्यमंत्री महोदय को ये सोचना होगा कि पूर्ण बहुमत से सरकार में आना जनता की चरम समर्थन का ही द्योतक है मगर जनता की अपेक्षाएं भी हैं। बिजली, सड़क, पानी और बेहतर कानून व्यवस्था देना जिम्मेदारी है। जहाँ पत्रकार को सच कहने से रोका जाये! विकास की जगह ध्यान वोट पर हो। युवाओं को रोजगार के लिए भटकना हो और कानून व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति तो कैसे आगे बढ़ेगा उत्तर प्रदेश? एक तरफ तो प्रचार हो रहा है... उम्मीदों का प्रदेश । कैसा उम्मीद ... जहाँ लोकतंत्र का चौथा खम्भा भूकम्प के झटकों की तरह थर्राता हो? आम जन क्या होगा? अगर यूँ ही चलता रहा तो 2017 में सत्ता का ख्वाब, ख्वाब ही रह जायेगा। और उत्तर प्रदेश में बसने वाला कहेगा....

खामोश.... ये उत्तर प्रदेश है! यहाँ सच बोलना जुर्म है!

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सम्पादक

डॉ. लीना