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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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क्या यही है 'विश्वगुरु भारत' की पत्रकारिता का स्तर?

तनवीर जाफ़री/ हमारे देश में चल रही सत्ता और मीडिया की जुगलबंदी, अनैतिकता की सभी हदें पार कर चुकी है। सत्ता की चाटुकारिता करना, झूठ पर झूठ प्रसारित करना और विपक्ष को कटघरे में खड़ा करना गोया इसका पेशा बन चुका है। आज देश में सांप्रदायिक वैमनस्य का जो वातावरण बना है उसके लिये जहां साम्प्रदायिकता को हवा देने वाली राजनैतिक शक्तियां ज़िम्मेदार हैं वहीं उनके नापाक मिशन को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित व प्रसारित करने में पक्षपाती,सत्ता भोगी मीडिया विशेषकर मुख्य धारा हिंदी टी वी चैनल्स ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्टूडियो में चीख़ना चिल्लाना, गला फाड़ डिबेट करना, नागिन डांस करते हुये रिपोर्टिंग करना, झूठ, मक्कारी, निराधार, तथ्य विहीन बातें परोसना इनका धंधा बन चुका है। जिस मीडिया से देश उम्मीद करता है कि वह सत्ता के प्रति आलोचनात्मक रुख़ अपनाते हुए उसे नियंत्रण में रखने का दायित्व निभायेगी और सत्ता को निरंकुश होने से बचायेगी वही मीडिया निरंकुश होती जा रही सत्ता की गोद में जा बैठा है और दिन रात उसी के एजेंडे को परवान चढ़ा रहा है। इसी क्रम में पिछले दिनों सत्ता की गोद में खेलने वाले और भाजपा के सांसद रहे सुभाष चंद्रा के स्वामित्व वाले टी वी चैनल, ज़ी न्यूज़ द्वारा एक और अक्षम्य अपराध करते हुये कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निशाना बनाया गया।  

गत 24 जून को राहुल गांधी के केरल के वायनाड स्थित कार्यालय में कथित तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी सीपीआई (एम) की स्टूडेंट विंग स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के कार्यकर्ताओं ने तोड़-फोड़ की। इस घटना के एक सप्ताह बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड पहुंचे। यहां उन्होंने अपने क्षतिग्रस्त कार्यालय का दौरा किया। कार्यालय का निरीक्षण करने के बाद राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए हिंसा करने वाले एसएफ़आई कार्यकर्ताओं को 'बच्चा' कहकर संबोधित किया और कहा कि वामपंथी छात्र कार्यकर्ताओं द्वारा जो कुछ किया गया, वह 'बेहद दुर्भाग्यपूर्ण' है परन्तु उनके मन में इन हमलावरों के प्रति कोई क्रोध या शत्रुता नहीं है, हिंसा से कभी समस्याओं का समाधान नहीं होता। परन्तु समाचार चैनल ज़ी न्यूज़ ने अपने प्राइम टाइम शो ‘डीएनए’ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का वायनाड में वामपंथी छात्र कार्यकर्ताओं को 'बच्चा' बताये जाने वाले बयान को उदयपुर में कन्हैया लाल दर्ज़ी के हत्याकांड के आरोपियों से जोड़कर यह बताया कि राहुल गांधी कन्हैया के हत्यारों को ‘बच्चा’ बता रहे हैं। जबकि राहुल गाँधी द्वारा यह बयान केरल के वायनाड में उनके कार्यालय में तोड़-फोड़ करने वाले एसएफ़आई कार्यकर्ताओं के संदर्भ में दिया गया था। ज़ी न्यूज़ प्राइम टाइम शो ‘डीएनए’ के प्रस्तोता एंकर रोहित रंजन ने राहुल गाँधी पर इस झूठी क्लिप के आधार पर कई गंभीर सवाल भी पूछ डाले। इस ढंग से इसे बार बार प्रस्तुत किया गोया राहुल गाँधी, कन्हैया के हत्यारों का पक्ष लेते हुये उन्हें बच्चा बताते हुए उनको मुआफ़ किये जाने की वकालत कर रहे हों। ऐसा झूठ प्रसारित कर राहुल गाँधी के प्रति हिंदूवादी संगठनों को आक्रोशित करने की एक बड़ी साज़िश रची गयी।   

राहुल गाँधी व कांग्रेस के विरोध की प्रतीक्षा में बैठे भाजपाई ट्रोलर्स जिनमें सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री व पद्म श्री और अति विशिष्‍ट सेवा पदक से सम्मानित राजयवर्धन सिंह राठौर जैसे विशिष्ट व्यक्ति तक शामिल हैं,ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रसारित इस झूठी ख़बर को अपने अपने ट्यूटर हैंडल से प्रसारित करने  में जुट गए। कुछ समय बाद जब यह झूठ विश्वव्यापी स्तर पर पूर्णतयः प्रसारित व प्रचारित हो गया तब ‘डीएनए’ के प्रस्तोता एंकर रोहित रंजन ने इस पर खेद जताते हुए माफ़ी मांग ली। रोहित रंजन ने अपने ट्विटर हैंडल में लिखा है, ‘कल हमारे शो डीएनए में राहुल गांधी का बयान उदयपुर की घटना से जोड़ कर ग़लत संदर्भ में चल गया था, ये एक मानवीय भूल थी जिसके लिए हमारी टीम क्षमा प्रार्थी है, हम इसके लिए खेद जताते हैं। रोहित का यह बयान टी वी चैनल पर भी प्रसारित किया गया। रोहित रंजन से पहले एक अन्य बदनाम एंकर सुधीर चौधरी इसी डी एन ए शो के होस्ट थे। वे भी अपने समय में दर्जनों झूठ बल्कि महाझूठ प्रसारित कर ढेरों बदनामियाँ अर्जित कर चुके हैं।वह सुधीर चौधरी ही थे जो सरकार से अधिक बढ़ चढ़कर विवादित कृषि क़ानूनों का पक्ष लेते थे और किसान आंदोलन को बदनाम करने में अपनी पूरी ताक़त झोंके हुए थे।इसी तथाकथित पत्रकार सुधीर चौधरी ने 2000 की नोट में नैनो जी पी एस चिप्स होने का दावा किया था जिसका बाद में भारतीय रिज़र्व बैंक तक को खण्डन करना पड़ा। यही ज़ी न्यूज़ व इसका एंकर सुधीर चौधरी था जिसने अरुणाचल में उस समय 11 कोरोना पॉज़िटिव केस और वे सभी दिल्ली तब्लीग़ी जमात से संबध बताये थे जबकि उस समय तक पूरे राज्य में केवल एक ही कोरोना पॉज़िटिव केस था। बाद में इसपर भी इस 'महान पत्रकार ' ने मुआफ़ी मांगी थी। कभी इसने कनाडा को क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा देश बताकर अपने अर्ध ज्ञान का परिचय दिया तो कभी जे एन यू में तो कभी नवज्योत सिंह सिद्धू की सभाओं में इसके कानों में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे गूंजने लगे। हिन्दू-मुस्लिम डिबेट कराने और भारत-पाक जैसे ज्वलंत मुद्दों को प्रसारित कर टी आर पी बटोरने व सत्ता के एजेंडे पर चलने मात्र में ही इनकी पूरी महारत है। 

ऐसे और भी अनेक टी वी चैनल्स व उनके अनेक ऐसे पत्रकार हैं जिनकी वजह से आज भारतीय मीडिया दुनिया के सबसे बदनाम,सत्ता का चाटुकार यहां तक कि 'गोदी मीडिया ' तक की उपाधि हासिल कर चुका है। सवाल यह है कि आये दिन इसी तरह के झूठ प्रसारित करना और बाद में 'मानवीय भूल' बताकर मुआफ़ी मांग लेना,क्या यही देश के तथाकथित 'चौथे स्तंभ ' का पैमाना रह गया है। हमारे देश का भविष्य वह युवा जोकि पत्रकारिता में हिस्सा लेने की दिलचस्पी रखता हो वह झूठ प्रसारित करने,समाज में नफ़रत फैलाने का एजेंडा चलाने वाले मीडिया और सत्ता का एजेंडा परोसने वाले ऐसे एंकर्स से आख़िर क्या सीखेगा ? राजनीति में क़दम रखने की चाहत रखने वाले युवा जब यह देखेंगे कि देश का पदमश्री प्राप्त एक पूर्व मंत्री और अनेक मंत्री सांसद विधायक ट्रोल आर्मी के सदस्य के रूप में किस तरह झूठ प्रसारित करने के लिये एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देते हैं तो इन देश के इन 'झूठे कर्णधारों' का उनपर कैसा प्रभाव पड़ेगा? क्या 'विश्वगुरु' बनने की दहलीज़ पर खड़े भारतवर्ष की राजनीति व पत्रकारिता का अब यही स्तर रह गया है ? 

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना