क्या आप एक ऐसे विज्ञापन की कल्पना कर सकते हैं जिसकी यह शर्त हो कि अखबार का सम्पादक खबरों की प्राथमिकता तय नहीं करेगा? जागरण ने स्टार से सौदा किया एक दिन का सम्पादकीय अधिकार
इर्शादुल हक / पूंजी का पत्रकारिता पर प्रभाव की चर्चा पिछले दो दशक से हमारे देश में होती रही है पर दैनिक जागरण ने पूंजी के सामने नतमस्तक होने का एक नया इतिहास 6 नवम्बर के अपने अंक से रच दिया है.
अखबार ने मुख्यपृष्ठ और पृष्ठ दो पर स्टार टीवी ग्रूप के विज्ञापन को छापा है.मुख्यपृष्ठ पर विज्ञापन छापने का चलन नया नहीं है. तो फिर इसमें नयी बात क्या है? है. वह यह कि दो पृष्ठों के विज्ञापन के बाद जो तीसरा पेज अखबार ने प्रकाशित किया है वह भी सम्पादक के खबरों के चयन के अधिकार को वंचित करने की शर्त पर छापा है.
चूंकि यह विज्ञापन स्टार स्पोर्ट्स ने अपने खेल के चैनलों को प्रोमोट करने के लिए दिया है इसलिए रणनीतिक तौर पर उसने जागरण प्रकाशन लि. को यह शर्त रखी है कि उस दिन यानी 6 नवम्बर के अंक में मुख्य पृष्ठ नहीं छापा जाये. इतना ही नहीं इस विज्ञापनदाता की यह भी शर्त है कि जो पेज 3 होगा उस पर खेल की खबरें छापी जायें. जागरण ने ये दोनों शर्तें मानते हुए ठीक वैसा ही किया है. शायद ही भारतीय हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में ऐसी और कोई मिसाल देखने को मिले.
इस पूरे मामले में चकित करने वाली बात यह है कि इस दिन का चयन विज्ञापनदाता ने खास तौर पर तय किया है. सारा देश जानता है कि 5 नवम्बर को भारतीय वैज्ञानिकों ने मंगल पर अपना यान भेज कर एक ऐतिहासिक कारनामा अंजाम दिया है. पते से यह खबर मेन पेज की बैनर खबर हो सकती थी या फिर पेज एक की महत्वपूर्ण खबर तो हो ही सकती थी, जैसा कि आज देश के अन्य अखबारों ने बनाया है.
ऐतिहासिक मंगल मिशन भी इग्नोर
पर जागरण ने मंगल मिशन वाली खबर देश-विदेश के पेज पर लगायी है. ऐसा इसलिए कि इस दिन इसे विज्ञापन की शर्तों के तहत पेज एक छापने का अधिकार स्टारस्पोर्ट्स को लाखों, या शायद करोड़ रुपये में बेच दिया है.
यहां ध्यान देने की बात है कि इसी दिन हिंदुस्तान के दिल्ली एडिशन को भी पेज एक और दो पर विज्ञापन मिले हैं. लेकिन उसने पेज 3 को अपना मुख्यपृष्ठ बनाते हुए मंगल मिशन वाली खबर छापी है, जो कि अखबारों की आम परिपाटी है.
एक तरह से विज्ञापन और पत्रकारिता में पूंजी के खेल को जागरण ने एक नये ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंचा दिया है. इसे कहते हैं पूंजी का असर.
जागरण की यह बिजनेस डीलिंग उसके तमाम संस्करणों के लिए हुई है. जिनमें दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल यानी तमाम राज्यों के तमाम संस्करण शामिल हैं.
जागरण के इस बाजारवादी और पूंजवादी डीलिंग के ऐतिहासिक करतूत के बाद यह सवाल बेमानी रह जाता है कि अखबार के लिए उसके पाठकों का क्या महत्व है. अब सचमुच पाठको को अखबार कंज्युमर के अलावा कुछ नहीं समझते.
इर्शादुल हक नौकरशाहीडॉटइन के संपादक हैं