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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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मौत के बहाने टीआरपी की चाहत

साकिब ज़िया/पटना/ भारतीय सिनेमा की अभिनेत्री श्रीदेवी को नमन।सबसे पहले चर्चा श्रीदेवी की, जी हाँ यह हकीकत है कि श्रीदेवी ने लगभग 4 साल की उम्र से लेकर 54 सालों तक सिल्वर स्क्रीन पर कई किरदारों को जीवंत किया।बॉलिवुड के अलावा तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी श्रीदेवी ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया। यहां तक कि बॉलिवुड का शायद ही कोई बड़ा कलाकार हो जिसके दिल में इस अदाकारा के साथ अभिनय करने की ख्वाहिश न रही हो। अपने लगभग 54 वर्षों के जीवन में उन्होंने 300 फिल्मों में काम किया और अनगिनत यादकार रोल निभा कर सिनेमा जगत में अमिट छाप छोड़ गईं। भारतीय सिनेमा जगत में वर्षों तक लोगों का बेहतरीन मनोरंजन करने के लिए साल 2013 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था।

लेकिन इस सच्चाई के इतर एक पहलू यह भी रहा कि देश के अधिकतर न्यूज़ चैनलों ने श्रीदेवी की मौत के बहाने टीआरपी का बड़ा खजाना तलाशने की हर संभव कोशिश की। यह सच है कि उस अभिनेत्री की दुबई में हुई  मौत की रात (यानि 24 फरवरी) से लेकर मुंबई में हुए अंतिम संस्कार (28फरवरी) तक जिस तरह से लगातार  अधिकांश न्यूज़ चैनलों ने कवरेज दिया है मुझे लगता है कि यह अपने आप में इतिहास है।टीआरपी की ऐसी दिवानगी मैंने पहले शायद ही कभी देखी हो।टीआरपी की दौड़ में किसी एक चैनल का नाम लेना बिल्कुल नाइंसाफी होगा क्योंकि हमाम में सभी नंगे हैं। लेकिन वहीं कुछ एक चैनल ऐसे भी रहे जिन्होंने इसे बिल्कुल एक खबर की तरह प्रसारित किया और अपने दर्शकों को अपडेट करते रहे तथा अन्य खबरों को भी लोगों तक बखूबी पहुंचा कर पत्रकारिता की लाज रख ली।

हालांकि यह भी सच है कि इन चार दिनों में देश-दुनिया में काफी कुछ ऐसा हुआ जिसे बड़ी खबरों की श्रेणी में आसानी से जगह दी जा सकती थी। शनिवार को बिहार के मुज़फ्फ़रपुर  के मीनापुर थाना क्षेत्र के धरमपुर में उत्क्रमित मध्य विद्यालय के डेढ़ दर्जन बच्चों को तेज गति से आ रही बोलेरो ने रौंद दिया था। इसमें नौ बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि 10 अन्य घायल हो गए थे। घटना ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है इस खबर को एक दो चैनलों ने प्रमुखता से प्रसारित किया इतना ही नहीं उन चैनलों ने इस दर्दनाक कांड को लेकर पैनल डिस्कशन तक कर डाला।

दूसरी खबर रही जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल-हुसैन की भारत यात्रा वह अपनी तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर मंगलवार को भारत पहुंचे। मेघालय और नागालैंड के विधानसभा के लिए मंगलवार को मतदान संपन्न हुआ यह भी खबर कहीं न कहीं हवा-हवाई होकर रह गई। न जाने ऐसी कई महत्वपूर्ण खबरें टीआरपी की खोज बरकरार रखते हुए कहीं खो गईं और दर्शकों को वही दिखा जो चैनलों ने परोस दिया। देश की वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने तो साफ़ लफ़्ज़ों में कह दिया कि "भारतीय टीवी न्यूज़ चैनलों में श्रीदेवी की मौत की खबर जिस प्रकार से दिखाई गई वह शर्मनाक है, खबर की तो हत्या ही हो गई, पत्रकार के रूप में मैं शर्मिंदा हूँ "। पत्रकारिता जगत के कई दिग्गजों ने श्रीदेवी के खबर को लगातार प्रसारित किए जाने को महज़ टीआरपी की चाहत की संज्ञा तक दे डाली।सवाल यह है कि क्या सिर्फ टीआरपी पाना या दर्शकों को अपनी तरफ खींच कर रखना मात्र ही अधिकतर न्यूज़ चैनल वालों के लिए पत्रकारिता रह गई है। मुझे लगता है कि अब इस मिथक को तोड़ने की कोशिश शुरू करने पर अवश्य विचार करने का समय आ गया है। 

मीडियामोरचा परिवार की ओर से श्रीदेवी को श्रद्धांजलि।

साकिब ज़िया मीडियामोरचा के ब्यूरोप्रमुख हैं।

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सम्पादक

डॉ. लीना