अंशु शरण/ लोकतान्त्रिक विचारों पर नियंत्रण कर रही मीडिया इस चुनाव में प्रचार का साधन बन गया है और अलग अलग राजनैतिक दलों के पक्ष में खड़ा है, जो अपने से सम्बंधित राजनैतिक दलों के कार्यक्रमों और घटनाओं को जनता तक पहुचाने का काम कर रही है मीडिया द्वारा दिए जा रहे कवरेज पर ध्यान दें तो हम पाएंगे की तीसरे मोर्चे से सम्बंधित दलों को मिलने वाला कवरेज कई गुना कम है।
अब मीडिया का दो प्रमुख राजनैतिक दलों के साथ सम्बन्ध खुलके सामने आ गया है जो सत्ता में आने पर लॉबिंग में मीडिया की भूमिका को भी स्पष्ट कर रहा है। कुल मिला जुला कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कार्पोरेट कल्चर को बढ़ावा देने हेतु विकल्पहीन राजनीति को मजबूत कर रहा है। मीडिया के इस कार्पोरेट प्रेम के पीछे एक करक यह भी है की शहरी और सीमित वर्गों से भरी मीडिया समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करती बल्कि लगातार समाजवादी विचारधारा के दलों को नजरअंदाज कर रही है और कुछ के खिलाफ तो दुष्प्रचार कर रही है।
कुछ लोगो के पक्ष में तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लगातार विकास का भोंपू बजा रही है, उसके बावजूद भी हम न तो विकास मॉडल के बारे में जान पाये है और न ही ये जान पाये हैं की उस विकास मॉडल में समाज के हर वर्गों की भागेदारी है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का यह व्यहार राजनीति में बाजारवाद का प्रवेश सुनिश्चित कर रहा है।
अगर हम युवा अभी नहीं जागे तो बाजार की राजनीति, राजनीति को बाजार बना देगी ।
अंशु शरण
वाराणसी
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