माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में “स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में युवा” विषय पर व्याख्यान
भोपाल। स्वामी विवेकानंद एक ऐसे दार्शनिक और वैज्ञानिक थे जिन्होंने जीवन के दर्शन को समझा और समझाया। वे अपनी दृष्टि को तर्क की कसौटी पर परखने के बाद ही उजागर करते थे। विवेकानंद जी के जीवन से प्रेरणा लेते हुए हमें भी अपनी अस्मिता से जुड़ी हुई बातों को जानने के बाद दूसरों को भी बताना चाहिए। इसलिए हमें अपनेपन का दायरा बढ़ाने के लिए प्रामाणिकता से प्रयास करना चाहिए।
यह विचार मेनिट के पूर्व प्राध्यापक एवं जानेमाने शिक्षाविद डॉ. सदानंद सप्रे ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में “स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में युवा” विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किए।
डॉ. सप्रे ने कहा कि स्वामी विवेकानंद इस बात पर विशेष बल देते थे कि हमें निर्धन और जरूरतमंदों की सहायता एवं सेवा करनी चाहिए। ‘दरिद्रनारायण’ की सेवा ही सच्चा धर्म है। व्यक्तिगत रूप से हमें जीवन में कुछ श्रेष्ठ करने का संकल्प लेना चाहिए और उसे पूरा करने की दिशा में पूरी ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला कहा कि यह सौभाग्य का विषय है कि आज हमारे देश में सामूहिकता का भाव पैदा हो गया है। भारत की अधिकांश जनसंख्या युवा है और जो देश युवा होता है, वही विश्व का नेतृत्व करता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि था मुझे 100 प्रतिबद्ध युवा दें तो मैं देश को बदल दूंगा। क्या हम उन युवाओं में शामिल होने के लिए और विवेकानंद के सपने को साकार करने के लिए तैयार हैं? प्रो. कुठियाला ने युवाओं का आह्वान किया कि वे मन, बुद्धि एवं शरीर से राष्ट्रहित में कार्य करने के लिए तत्पर रहें।
इस कार्यक्रम का संयोजन विज्ञापन एवं जनसंपर्क के अध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने किया और संचालन सहायक प्राध्यापक सुरेन्द्र पॉल ने किया। आभार निदेशक संबद्ध संस्थाएं दीपक शर्मा ने व्यक्त किया। इस विशेष व्याख्यान के अवसर पर विश्वविद्यालय के कई शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
प्रेस विज्ञप्ति