सीवान / रविवार को गोरेयाकोठी प्रखंड के खुलासा गाँव में स्थित बागेश्वरी सिंह ग्रामीण पुस्तकालय एवं जागरूकता केंद्र के वार्षिक समारोह के अवसर पर आयोजित परिचर्चा ' कृषि समस्याएँ: सरकार की नीतियाँ और मीडिया की भूमिका' में राष्ट्रीय स्तर के कई विद्द्वानों ने भाग लिया . मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ) गोपालजी त्रिवेदी पूर्व कुलपति, राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ने कहा कि इस तरह की परिचर्चा गांवों में होनी चाहिए. गाँव में लोग रहते हुए भी कृषि कार्य ध्यानपूर्वक नहीं करते हैं. आज की स्थिति है कि ‘गाँव सुनशान और शहर घमासान’. लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं .उन्होंने कहा कि आज वैज्ञानिक पद्धति से कृषि कर के ही किसान लाभ उठा सकता है. खेतो का लेबलिंग बहुत जरुरी है . केवल खेत का लेबलिंग (बराबर ) कर देने से तीस फीसदी पैदवार बढ़ जाता है.
मुख्य वक्ता प्रो.(डॉ) रामजी सिंह ने पुरे सिस्टम को किसानों की उपेक्षा के लिए जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि एक सोची समझी चाल के तहत किसानों को कमजोर रखा जा रहा है. वोट बैंक की राजनीति इसके पीछे छिपी है. उन्होंने कहा कि भारत गांवों का देश है लेकिन इस देश का किसान भूख से मरता है. उन्होंने इस तरह के परिचर्चा को गाँव के लोगों को जागृत करने केलिए आवश्यक बताया और कहा की पुस्तकालय ग्रामीण जागरूकता का सशक्त माध्यम है.
अध्यक्षता करते हुए सिन्हा लाइब्रेरी के पूर्व अध्यक्ष और बिहार राज्य पुस्तकालय संघ के महासचिव डॉ राम शोभित सिंह ने कहा कि जब एक पुस्तक गांधीजी के विचार को बदल सकता है तो जहाँ पुस्तकालय खुल जाय वहां का तो आभमंडल ही बदल जायेगा. उन्होंने इस तरह की परिचर्चा को गांवों में आगे भी किये जाने पर बल देते हुए कहा कि बागेश्वरी सिंह ग्रामीण पुस्तकालय एवं जागरूकता केंद्र के विकास केलिए वे लोगों से पुस्तक दान में मांगेंगे. आकाशवाणी पटना के समाचार संपादक संजय कुमार ने कहा कि मीडिया ग्रामीण समस्याओं का सही इंसाफ नहीं कर रही है. हालाँकि आकाशवाणी सरकारी माध्यम है और वो आंचलिक खबरों को प्रमुखता से स्थान देता है. वही बी.बी.सी के वरिष्ठ पत्रकार पंकज प्रियदर्शी ने कहा की आज मीडिया के विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह उठाने लगा है . मीडिया को अपनी साख बचाने की जरुरत है. गाँव और कृषि को नज़र अंदाज़ कर कोई मीडिया देश की जनता का सही स्थिति नहीं बता सकता है.
आई आई टी खड़गपुर से पास करने के बाद खेती करने वाले युवा मनीष कुमार ने कहा की आज के समय में प्रकुति जब बदल रही है तो जरुरत है उसके अनुसार खेती और फसलों के चयन में बदलाव की. उदाहरण स्वरुप बारिश नहीं होने की स्थति में गेंहूँ की जगह राजमा की खेती कर उससे अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. इस अवसर पर बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजदेव सिंह ने पुस्तकालय के विकास केलिए एक सौ पुस्तकें देने की घोषणा करते हुए कहा की आज के समय में गाँव के वातावरण को पुस्तकालय के माध्यम से ही संवारा जा सकता है .
परिचर्चा में मंच संचालन करते हुए पत्रकार और बागेश्वरी सिंह ग्रामीण पुस्तकालय के सचिव दीनबंधु सिंह ने कहा कि भारतीय मनीषियों ने कहा है कि भारत की आत्मा गांवों में बस्ती है. कृषि है तो किसान है, किसान है तो गाँव है. कृषि नहीं बचेगी तो किसान नहीं रहेगा और जब किसान नहीं रहेगा तो गाँव कैसे बचेगा? जब भारत की आत्मा ही नहीं बचेगी तो भारत कैसे जीवित रहेगा ? इसलिए कृषि और किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है. विषय प्रवेश प्रो. अशोक प्रियंवद ने कराया. उन्होंने किसानो की समस्याओं और समाधान के लिए अतिथियों के सामने कई प्रश्न रखे. स्वागत भाषण गोरेयाकोठी क्षेत्र के विधायक भूपेंद्र नारायण सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ देव रंजन सिंह ने किया . इस अवसर पर दरौंदा विधायक कविता कुमारी, अजय सिंह, सरसर पंचायत के मुखिया टुन्ना सिंह, हरिहरपुर पंचायत के मुखिया अशोक सिंह, विद्या भारती के संगठन मंत्री सतीश चन्द्र, महावीरी स्कूल छपरा के प्रधानाचार्य रामदयाल शर्मा, डॉ चन्द्र मोहन सिंह, भाजपा नेता देवेन्द्र गुप्ता, गोपालगंज के वरिष्ठ अधिवक्ता दरोगा सिंह, कृषि वैज्ञानिक ब्रजेश शाही, पूर्व कृषि वैज्ञानिक एस.पी सिंह सहित सैकड़ो की संख्या में किसानों ने भाग लिया.