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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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हिंदी सिनेमा के संगीत पर आधारित पुस्तक ‘सिनेमा सप्तक’ का लोकार्पण

पटना/  ‘वही संगीतकार महान कहलाता है जो चार मिनटों में उस भाव को सुनने वालों के दिल तक पहुंचा दे। इसमें सिर्फ धुन ही नहीं उसकी लय-ताल-गायिकी और संगीत संयोजन भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।‘ यह बात ‘सिनेमा सप्तक’ पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर रचनाकार अनिरुद्ध शर्मा ने कही।

मौलाना मज़हरुल हक़ अरबी व फारसी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में ‘सिनेमा सप्तक’ पुस्तक के लेखक अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि सिनेमा का अपने आरंभ से ही गहरा और अविभाज्य संबंध रहा है। जहां सिनेमा की सृजनात्मक समृद्धि और लोकप्रियता में गीत-संगीत की महती भूमिका रही है वहीं सिनेमा ने भी गीत-संगीत के प्रसार को जनव्यापी बनाने में अहम योगदान दिया है।

हिंदी सिनेमा के गीतों पर सात दशकों को रेखांकित करती सेतु प्रकाशन से आई इस पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर वरिष्ठ लेखक संजय कुमार ने कहा कि अनिरुद्ध शर्मा ने महाकाव्यात्मक कार्य किया है। हिंदी सिनेमा के विशाल गीत-भंडार को एक किताब में समेटना गागर में सागर भरने जैसी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हिंदी सिनेमा के गीतों ने कई उतार-चढ़ाव भरे दौर देखे और इस किताब में उन सभी दशकों का सहज भाषा में विवरण मिलता है।

बिहार के संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने इस अवसर पर ‘सिनेमा सप्तक’ की विस्तृत व्याख्या करते हुए रेखांकित किया कि न केवल यह हिंदी सिनेमा के गीतों का इतिहास है बल्कि इसके साथ-साथ देश और विश्व के इतिहास की घटनाओं को भी समझा जा सकता है। भारतीय समाज में हो रहे राजनैतिक परिवर्तनों को इस किताब के माध्यम से बेहतर समझा जा सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मौलाना मज़हरुल हक़ अरबी व फारसी विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल कामेश कुमार ने कहा कि बिहार में इस किताब का पहला लोकार्पण विश्वविद्यालय में करने का संदेश यह है कि हम भाषा और कला को लेकर बेहद सजग हैं और शैक्षणिक संस्थानों तथा पुस्तकालयों में छात्रों को इस तरह के रोचक और जनोपयोगी विषयों पर शोध ज़रूर करना चाहिए।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ मुकेश कुमार ने सिनेमा सप्तक को पठनीय बताते हुए कहा कि इस किताब को हर पीढ़ी का पाठक अपनी रुचि के हिसाब से पढ़ सकता है। विशेषकर पत्रकारिता के छात्रों के लिए यह किताब तथ्यात्मक रूप से ज़रूर पढ़नी चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन डॉ निखिल आनंद गिरि और धन्यवाद ज्ञापन डॉ रणजीत कुमार ने किया। इस अवसर पर अलग-अलग विभागों के शिक्षक और सैंकड़ों छात्र मौजूद रहे।

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सम्पादक

डॉ. लीना