नीतिशचंद्र / काठमांडू के जिस होटल में मैं ठहरा हूँ वहां Go home indian media लिखा पोस्टर कुछ लोगों ने चिपका दिया। कल ओबी वैन में आग लगाने की धमकी दी और एक घंटे में शहर छोड़ने को कहा। रात में आकर होटल वाले से पूछा भी क़ि सारे लोग गए या नहीं। अभी काठमांडू छोड़ रहा हूँ लेकिन ऐसा माहौल बनाने वाले नेपाली मीडिया के एक हिस्से से मैं पूछना चाहता हूँ क़ि क्या ये सही नहीं है क़ि भूकंप के तुरंत बाद अगले 2 दिनों में भारतीय मीडिया ने नेपाल सरकार के साथ साथ पूरी दुनिया को भूकंप की भयावहता के बारे में बताया और इससे हुआ ये क़ि पूरी दुनिया नेपाल की मदद के लिए खड़ी हो गयी।
और यदि हमने ऐसा किया तो क्या इसके जवाब में इंडियन मीडिया को गाली दी जानी चाहिए ? भूकंप के कारण कुछ नेपाली मीडिया हाउस के सामने समस्याएं जरुर खड़ी हो गयी थी। क्या हम नेपाली मीडिया के भी साथ आने का इन्तजार करते रहते ? नेपाली मीडिया के एक हिस्से ने इसे हमारे उनसे आगे निकलने की कोशिश के तौर पर देख लिया और यहीं से वे नाराज हो गए। कई दूसरे फिजूल तर्क देकर भारतीय मीडिया को घेरने की कोशिश की गयी।
दरअसल नेपाल में एक वर्ग ऐसा है जो भारत विरोध की राजनीति करता है। बहुत थोड़े लोग ही ऐसे है। सारे नहीं, कुछ पत्रकार भी हैं। हमें ऐसे लोगों के मकसद को ध्यान में रखकर काफी संयम से काम करना होगा। अन्यथा भारत- नेपाल के मजबूत रिश्ते पर किसी तीसरे की भी नजर है। नेपाल में कई लोग ऐसे मिले जिन्होंने हमारी गाड़ी रुकवा कर भारत की भूमिका को लेकर हमें धन्यवाद दिया। धन्यवाद नेपाल...