दूरदर्शन समाचार कैजुअल वर्कर्स एसोसिएशन ने दूरदर्शन पटना और प्रसार भारती के वरिष्ठ पदाधिकारीयों को भेजी चिट्ठी
जावेद हुसैन। काफी दिनों से दूरदर्शन पटना से प्रसारित होने वाली उर्दू न्यूज़ बुलेटिन को बंद करने और उसके महत्व को समाप्त करने की लगातार कोशिश की जा रही है। इस साल जुलाई से पुराने पैनल में शामिल असिस्टेंट एडिटर और कॉपी एडिटर की बुकिंग न सिर्फ बंद कर दी गई है बल्कि उनकी पदों की संख्या भी कम कर के एक कर दी गई है जिससे वहां काम करने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही नए पैनल में अनुभवहीन लोगों को शामिल करने और उनकी बुकिंग शुरू होने से उर्दू समाचार की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है।
इस विषय में दूरदर्शन समाचार कैजुअल वर्कर्स एसोसिएशन ने दूरदर्शन पटना और प्रसार भारती के वरिष्ठ पदाधिकारीयों को चिट्ठी भेजकर इस मामले पर उनका ध्यान आकर्षित किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष जावेद हुसैन, उपाध्यक्ष डॉक्टर रेहान गनी, और अंजुम आलम और महासचिव आफताब नबी के हस्ताक्षर से पदाधिकारीयों को भेजी गई अर्जी में उनका ध्यान उर्दू न्यूज़ बुलेटिन को बंद करने की साजिश की तरफ आकर्षित किया गया है। और उनसे फौरन कार्रवाई की मांग की गई है।
अर्जी में कहा गया है कि बिहार में उर्दू दूसरी सरकारी जबान है। 1992 से दूरदर्शन केंद्र पटना से उर्दू समाचार का प्रसारण शुरू हुआ ताकि सरकारी उपलब्धियों की खबरें अल्पसंख्यकों तक आसानी से पहुंच सके। इस दौरान उर्दू समाचार काफी मशहूर हुआ को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है। अर्जी में कहा गया है कि इस के बावजूद दूरदर्शन केन्द्र पटना से उर्दू समाचार को खत्म करने की ज़बरदस्त साजिश की जा रही है। कभी साल डेढ़ साल तक कैज़ूअल वर्कर्स की फीस रोकी गई और कभी उनकी संख्या कम करने की कोशिश की गई। अर्जी में यह भी कहा गया है कि जब से डिप्टी डायरेक्टर न्यूज़ श्वेता सिंह बुकिंग इंचार्ज बनी है उस वक़्त से ही उर्दू के लोग उनकी आंखों में खटकने लगे, संख्या कम करने की बात की जाने लगी। अर्जी में आगे कहा गया है कि कोविड-19 ने उन्हें यह मौका दे दिया। 23 मार्च 2020 से ही उन्होंने ड्यूटी चार्ट में बदलाव करते हुए एसिस्टेंट एडिटर और कॉपी एडिटर की संख्या 2-2 से घटाकर 1-1 कर दी जो दूरदर्शन डॉयरेक्ट के लेटर नंबर 2016/89 दिनांक 28/04/92 का खुला उलंघन है। साथ ही मार्च , अप्रैल, मई और जून से जिन कैजूअल वर्कर्स की बुकिंग रोकी गई उनकी फीस भी अदा नहीं की गई जो श्रम मंत्रालय के आदेश का खुला उलंघन है। मज़े की बात ये है वहीं कोविड 19 के कारण से जिन हिंदी कैज़ूअल वर्कर्स की बुकिंग रोकी गई उनकी फीस इस दौरान दे दी गई। अर्जी में दूरदर्शन के अधिकारियों से अपील की गई है कि वो इस बेइंसाफी की तरफ ध्यान दें और जिस तरह डायेक्टोरेट के आदेश के मुताबिक पहले बुकिंग की जा रही थी उसी तरह उर्दू स्टाफ की बुकिंग की जाए।