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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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शोध पत्रिका "समागम" के 15 साल पूरे

भोपाल। यहां से प्रकाशित शोध पत्रिका "समागम" ने अपने प्रकाशन के शानदार 15 साल पूरे  कर लिए है। साल 2000 फरवरी से शोध पत्रिका "समागम" का प्रकाशन आरम्भ हुआ था। तब से लेकर अब तक यह पत्रिका नियमित रूप से प्रकाशित हो रही है।  

शोध पत्रिका "समागम" मूल रूप से मीडिया और सिनेमा की मासिक पत्रिका है। शोध पत्रिका "समागम" एडिटर मनोज कुमार कहते है कि हमारे समूचे जीवन पर मीडिया और सिनेमा का प्रभाव है अतः जीवन के विविध पहलुओ पर शोधात्मक लेख का प्रकाशन किया जाता है। शोध पत्रिका "समागम" के 15वें वर्ष के पूर्णांक 30 जनवरी पर केंद्रित है। शायद पहली बार राष्ट्रपिता गांधी एवं दादा माखनलाल को एक साथ केंद्र में रख कर अंक का संयोजन किया गया है. 30 जनवरी को बापू का निधन हुआ था और इसी तारीख पर दादा माखनलाल ने भी प्राण त्यागे थे. दोनों महापुरुषों को शोध पत्रिका "समागम" का नमन.

उल्लेख्ननीय है कि शोध पत्रिका "समागम" के कंटेंट को लेकर मीडिया की लगभग सभी वेब साइट ने प्राथमिकता के साथ उल्लेख किया।  इंडिया टुडे ने वर्ष 2011 में शोध पत्रिका "समागम" को गंभीर पत्रकारिता वाली पत्रिका का सम्बोधन देते हुए समीक्षा का प्रकाशन किया। इसके साथ ही मध्यप्रदेश शासान की पत्रिका "पंचायिका", पत्रिका "शुकवार" सहित स्थानीय दैनिक अखबारों ने हौसला बढ़ाया। शोध पत्रिका "समागम" का हर अंक विशेषांक होता है. 

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना