भाषा के आयाम विषय पर हुआ सार्थक संवाद
इंदौर। कहते हैं कि किसी को गुलाम बनाना है तो उसकी भाषा को अशुद्ध कर दीजिए। अखबार पढ़कर भाषा सुधरती नहीं बल्कि बिगड़ जाती है। आज के दौर में अच्छे लेखन का भी अभाव है। मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के दो दिवसीय साहित्यिक सम्मेलन के पहले दिन 'पत्रकारिता : भाषा के आयाम विषय' पर विभिन्न वक्ताओं ने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। सत्र में पत्रकारिता के विभिन्न रूपों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
साहित्यिक पत्रकारिता पर वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकान्त नागर ने भारतेन्दु हरिशचन्द्र, माखनलाल चतुर्वेदी, अज्ञेय, प्रेमचंद, विद्यानिवास मिश्र आदि का जहां उदाहरण सहित स्मरण किया, वहीं संपादकीय जवाबदारियों पर भी प्रकाश डाला। इस मौके पर क्रिकेट कमेंटेटर सुशील दोशी ने कहा कि किसी को भी गुलाम बनाना हो तो उसकी भाषा को अशुद्ध कर दीजिए। आज शुद्ध और अच्छी हिन्दी बोलना क्लिष्टता की श्रेणी में आता है।
रंगकर्मी संजय पटेल ने फिल्म पत्रकारिता पर एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए 1925 में प्रकाशित रंगभूमि, 1935 में चित्रपट तथा बाद में माधुरी जैसी फिल्मी पत्रिकाओं के कलेवर और विषय वस्तु पर चर्चा की। साथ ही इंदौर के फिल्म पत्रकार, समीक्षक, लेखक स्व. श्रीराम ताम्रकार और जयप्रकाश चौकसे को फिल्म जगत का सिद्धहस्त लेखक बताया।वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक ने समाचार पत्रों पर बोलते हुए कहा कि हम अरण्यरोदन कब तक करेंगे? हमें झूठे आशावाद से बचकर हिन्दी भाषा के लिए कुछ कठोर कदम उठाना होंगे। उन्होंने कहा कि एक समय था जब अखबार पढ़कर भाषा सीखी जाती थी, जबकि आज के दौर में भाषा बिगड़ न जाए इसलिए हम बच्चों को अखबार पढ़ने से मना करते हैं। एक उदाहरण देते हुए कर्णिक ने कहा कि 'घट रही है पेड़ों की पापुलेशन', यह हमें कहां ले जाएगा।
खेल पत्रकारिता पर सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने 1960, 1980 और इसके बाद की खेल पत्रिकाओं तथा समाचार पत्रों की जहां चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब अच्छा लेखन ही नहीं हो रहा है तब खेल समाचार अच्छे कहां से मिलेंगे। अच्छे लेखन के लिए अच्छे खेल और भाषा दोनों का होना आवश्यक है।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के स्वागत के साथ किया गया ।इस मौके पर राज्य के सूचना जनसंपर्क मंत्री अरविन्द ओझा और वित्त मंत्री अरविन्द जवलेकर ने डॉ. अजय सोडानी, सुशील दोषी और अधिवक्ता विनय झेलावत को हिन्दी सेवी सम्मान से सम्मानित किया।दो दिवसीय सम्मेलन में बड़ी संख्या में पत्रकारों, साहित्यकारों तथा बुद्धजीवियों ने भाग लिया ।