सोलहवां अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कार घोषित, सत्रहवें के लिए कृतियाँ आमंत्रित
भोपाल। राष्ट्रीय ख्याति के बहुचर्चित अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कारों की घोषणा एक समारोह में की गई। दिव्य पुरस्कारों के संयोजक प्रसिद्ध रचनाकार श्री जगदीश किंजल्क ने पुरस्कारों की घोषणा करते हुये बताया कि श्री मनोज ठक्कर एवं रश्मि छाजेड़ को संयुक्त रूप से पाँच हजार रूपये राशि का दिव्य पुरस्कार नके उपन्यास काशी मरणान्मुक्ति के लिए प्रदान किया जायेगा। श्री माताचरण मिश्र भोपाल) को उनकी काव्य कृति‘बच रहेगा जोश तथा श्री रामेश्वर द्विवेदी (नई दिल्ली) को उनके कहानी संग्रह आईने के पेड़ क्यों नहीं होते! के लिए इक्कीस-इक्कीस सौ रूपये के दिव्य पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। श्री जगदीश किंजल्क ने बताया कि दिव्य रजत अलंकरण श्री संतोष परिहार (बुरहानपुर) उपन्यास- जीवन के संग श्री कुमार सुरेश (भोपाल) काव्य संग्रह-‘भाषा सांस ले ती है, श्री ओम प्रकाश शिव (नागपुर) निबंध संग्रह-‘साहित्य में आदिमयत की तलाश श्री कुशलेन्द्र श्रीवास्तव (गाडरवारा) व्यंग्य-संग्रह-‘पप्पू पास हो गया, पं. बृजवासी लाल दुबे (पन्ना) ऐतिहासिक नाटक- ‘छत्रसाल, एवं श्री सत्यनारायण ‘सत्य, भीलवाड़ा) बाल साहित्य-‘अनोखा फैसला, को प्रदान किये जायेंगे।
सत्रहवें दिव्य पुरस्कारों के लिए कृतियाँ आमंत्रित की गईं हैं। शीर्षस्थ ऐतिहासिक उपन्यासकार, कवि, चित्रकार एवं साठ महत्वपूर्ण ग्रंथों के सर्जक स्व. अम्बिका प्र साद दिव्य की स्मृति में साहित्य सदन, भोपाल द्वारा प्रदान किये जाने वाले अनेक साहित्यिक पुरस्कारों हेतु कृ तियाँ आमंत्रित हैं। पुस्तकें 1 जनवरी 2011 से 31 दिसम्बर 2013 के मध्य प्रकाशित होना चाहिए। उपन्यास, कहानी, कविता, निबंध एवं व्यंग्य विधा हेतु प्रत्येक विधा के लिये इक्कीस-इक्कीस सौ रूपये के दिव्य पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। पुस्तकों की दो प्रतियाँ, प्रत्येक प्रवृष्टि के साथ सौ रूपये प्रवेश शुल्क, लेखक के दो रंगीन चित्र एवं परिचय 30 जून 2014 तक - श्रीमती राजो किंजल्क, साहित्य सदन, प्लाट नं. 145-ए, सांईनाथ नगर, सी-सेक्टर, कोलार रोड, भोपाल-462042, म.प्र., भारत के पते पर भेजनी होंगी। हिंदी साहित्य जगत में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित दिव्य-पुरस्कारों हेतु प्राप्त पुस्तकों का चयन एक निर्णायक मण्डल द्वारा किया जायेगा। उनका निर्ण य अंतिम तथा मान्य होगा। पुरस्कारों हेतु प्राप्त पुस्तकें लौटाई नहीं जायेंगी। पुस्तकों के किसी भी पृष्ठ पर पेन से कोई शब्द न लिखें।
श्री किंजल्क ने बताया कि इस बार दिव्य पुरस्कारों हेतु कु ल 96 पुस्तकें प्राप्त हुई थीं । अभी तक देश विदेश के 42 लेखकों को दिव्य पुरस्कार एवं 126 लेखकों को दिव्य रजत अलंकरण प्रदान किये जा चुके हैं। इस अवसर पर श्रीमती राजो किंजल्क ने बताया कि इन दिव्य-प्रतिष्ठा पुरस्कारों के विद्वान निर्णायक हैं - सर्वश्री मोती सिंह (अध्यक्ष), प्रो. विजय अग्रवाल, प्रो. एच.एस. त्रिपाठी, प्रो. आनन्द त्रिपाठी, प्रोसेवाराम त्रिपाठी, श्री मयंक श्रीवास्तव, श्री राजे न्द्र नागदेव, श्रीमती विजय लक्ष्मी विभा, श्री संतोष खरे, श्री प्रियदर्शी खैरा, एवं श्री जगदीश किंजल्क।