खबर को लिखने वाला पत्रकार खुद उस मानसिकता का शिकार नहीं?
प्रेमेन्द्र मिश्र/ ये है मिडिया का बलात्कार .. ये है गिरती पत्रकारिता ... एक महिला के बदन के लिए कितने गंदे शब्द इस्तेमाल किये गए हैं। यहाँ खबर लिखने में उस महिला के बदन के गदराए होने के जिक्र की क्या जरुरत थी? क्या सीधे तौर पर ये नहीं लिखा जा सकता था कि इस कांड की अभियुक्त लापता है ? क्या इस खबर को लिखने वाला पत्रकार खुद उस मानसिकता का शिकार नहीं जो महिला के बदन से परे कुछ नहीं देख सकता, कुछ नहीं लिख सकता ? आप खबर लिख रहे हैं, अभियुक्त की काली करतूतों का जिक्र कर रहे हैं या किसी महिला के बदन की पड़ताल कर रहे हैं ?
यानि ब्रजेश अकेला नहीं है। पता नहीं कहाँ सो रहा है प्रेस काँसिल और कहाँ है महिला आयोग ?
(प्रेमेन्द्र मिश्र के फेसबुक वाल से )