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अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच का 25 वाँ साहित्य उत्सव समारोह

नई दिल्ली । अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच साहित्य उत्सव एवं सम्मान समारोह हर बीतते साल के साथ यह साहित्यिक लिहाज से और समृद्ध हो रहा है।  मुक्त धारा ओडिटोरियम भाई वीर सिंह मार्ग, गोल मार्केट, नई दिल्ली में अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच का 25वाँ वार्षिक साहित्य उत्सव दिव्य आत्मा गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में एंव प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन, प्रसिद्ध इतिहासकार एवं साहित्यकार काशी प्रसाद जायसवाल, प्रखर चिंतक और विचारक शिवमंगल सिंह सुमन, को समपिंत रहा और उनकी जयंती के रूप आयोजित किया गया ।

अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच के अध्यक्ष  लक्ष्मण सिंह स्वतन्त्र एंव समाज सेवी अशोक सक्सेना यशपाल, ने कार्यक्रम का उद्घघाटन एंव सरस्वती चित्र पर दीप प्रज्व्वालित कर किया I कार्यक्रम में अतिथि महापौर रविन्द्र गुप्ता, राजेश गिलडा वरिष्ठ पत्रकार ने अपने विचार रखे।

साहित्य उत्सव समारोह में  बच्चों ने समूह मे कलात्मक औेर सांस्कृतिक विरासत पर मंथन हुए गीत नृत्यों के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।साथ ही गीत गजलों का दौर भी चला I अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र ने बताया अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के लिए पहचाना जाता है,इसके बावजूद यहां कभी इतना गरिमामय समारोह  नहीं हुआ इसीलिए हमने इसकी शुरुआत करने के बारे में सोचा और आज हम 25 वाँ वार्षिक साहित्य उत्सव समारोह मनाया ।

समारोह में पूर्व महापौर महेश चन्द्र शर्मा ने कहा, 'बच्चन' की कविता के साहित्यिक महत्त्व के बारे में अनेक मत हैं।'बच्चन' के काव्य की विलक्षणता उनकी लोकप्रियता है। यह नि:संकोच कहा जा सकता है कि आज भी हिन्दी के ही नहीं, सारे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में 'बच्चन' का स्थान सुरक्षित है। 'बच्चन' की कविता इतनी सर्वग्राह्य और सर्वप्रिय है क्योंकि 'बच्चन' की लोकप्रियता मात्र पाठकों के स्वीकरण पर ही आधारित नहीं थी एक प्रकाशन 'तेरा हार' पहले भी प्रकाशित हो चुका था, पर 'बच्चन' का पहला काव्य संग्रह 1935 ई. में प्रकाशित 'मधुशाला' से ही माना जाता है।

समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह ने कहा कि  काशी प्रसाद जायसवाल ' भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं साहित्यकार थे। वे इतिहास तथा पुरातत्त्व के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान थे। काशी प्रसाद जायसवाल'काशी नागरी प्रचारिणी सभा' के उपमंत्री भी बने थे। उन्होंने 'बिहार रिसर्च जनरल' तथा 'पाटलीपुत्र' नामक पत्रों का सम्पादन भी किया था। 'पटना संग्रहालय' की स्थापना में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान था।

इस साल साहित्य उत्सव में भारत की विभिन्न क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं को निभाने वाली के कई हस्तीयो को सम्मानित किया गया । इस साल सम्मानित होने वाली हस्तीयो में इस साल सम्मानित होने वाली हस्तीयो में डॉ॰ परमानंद पांचाल, राजशेखर व्यास,पीठाधीश्वर महंत नानक दास जी महाराज ,सतेन्द्र त्रिपाठी,पारस जायसवाल, रवि शर्मा , शशिकान्त , गुंजन ग्रोवर, राधा कान्त भारती ,डॉ॰ राधे श्याम बंधु ,डॉ॰ द्वारका प्रसाद ,डां कुंदन कुमार, किरोन आर्या,डॉ॰ गोविंद क़ृष्ण गुप्ता, सुमन झा , विनय शुक्ल '' विनम्र '', उषा श्रीवास्तव, विनीत अग्रवाल, साहिबा सहगल, हेमा ,राजपाल , मदन मिश्रा, राजू बोहरा, सैय्यद अली अब्बास नकवी, गिनीज ऋषि, कुमारी सुजाता ,कुमारी अंजू चौधरी, कुलदीप कुमार ''अजय '', मयूर राईकवार, प्रदीप मिश्र , कैलाश राठी, खत्री राजेन्द्र मोदी रायमलाणी, विनोद कुमार शर्मा ,कुमार हर्षवर्धन शाक्य, राजकुमार नागपाल , सुमन भट्टड , सुरेश पंवार सरदार जगतार सिंह गिल , संगीता शर्मा ''अधिकारी '' सरदार कुलदीप सिंह रंधावा , विष्णु जोशी, डा.सुरेन्द्र कुमार शर्मा, मास्टर आशीष गिलडा, मास्टर व्योम पंवार। इस साहित्य उत्सव की खासियत यह रही कि लगभग हर सत्र के दौरान किसी न किसी लेखक की पुस्तक का लोकार्पण हुआ। मंच संचालन रामानुजन सिहं सुंदरम, ने किया  ।                                                                         

रिपोर्ट -राजू बोहरा,मीडिया प्रभारी

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सम्पादक

डॉ. लीना