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पुस्तक मेला में इस बार कला संस्कृति का दबदबा


लीना/ पटना। कल से पटना के गांधी मैदान में शुरू हुए 22वां ’’पटना पुस्तक मेला 2015’’ में जहां एक ओर किताबों की दुनिया सजी है वहीं कला-शिल्प-संस्कृति के नजारे के साथ-साथ रोजाना होने वाली  सांस्कृतिक गतिविधियां लोगों को खींच रही हैं। इस बार के पटना पुस्तक मेला के लगभग 800 स्टॉल में 300 विभिन्न प्रकाशकों के स्टॉल हैं। साहित्य के अलावा कैरियर से जुड़े स्टॉल भी बड़े पैमाने पर लगाये गये हैं। पुस्तक मेले के संयोजक अमरेंद्र झा बताते हैं कि पुस्तक मेले को मेला का स्वरूप देने से लोग खींचे चले आते है।

आज कोशी मुक्ताकाश मंच पर बिहार और समकालीन साहित्य पर में अवधेश प्रीत, ऋषिकेष सुलभ, गीताश्री, निवेदिता आदि ने चर्चा की।

इस बार पटना पुस्तक मेला का एक और खास आकर्षण है, यातायात पुलिस अधीक्षक प्राणतोष कुमार दास की परिकल्पित ड्रिफ्टवुड प्रदर्शनी।वहीं पर ’मेड इन इंडिया’ के मंच पर देश की लोक और जनजातीय कला की धूम दिखी। पश्चिम बंगाल के मामोनी चित्रकार की जरानो पताचित्र का अद्भुत नजारा लोगों को खींचता मिला। मानोनी के चित्र अमेरिका वर्ल्ड ट्रेड पर आतंकी हमले के रेखांकन कला का बेहतर नमूना है जिसका विवरण खुद गीत कर कर मामोनी चित्रकार देती है।

द इंडिया आर्ट के सीईओ प्रशांत सिंह कहते हैं कि ‘मेड इन इंडिया’ उनकी पहल है। इस मंच के माध्यम से लोक और जनजातीय कला में नई जान फूंकने की कोशिश है। शरीर से लाचार लोगों की कला और शिल्प को बढ़ावा देने में भी सहयोग किया गया है। साथ ही महिला सशक्ति को मजबूती देने के लिए महिलाओं को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि बिहार सांस्कृतिक रूप से एक मजबूत राज्य है। भाषा और वास्तुकला की इसकी शानदार विरासत रही है। हमारे लिए गर्व की बात है कि हम एक लोकप्रिय कला, मधुबना पेंटिग की जन्म स्थली में आ गये है। बिहार में पहली बार मेड इन इंडिया पेश करने के साथ हम यह दुहराना चाहते हैं कि हमें विश्वास है कि बिहार के निवासी हमारी अपनी संस्कृति और विरासत को संजो कर रखने अहमियत समझेगे और यहां प्रर्दशित कला कृतियां खरीद कर तहे दिल से शिल्पियों के हौसले को बढ़ायेंगे।

कला-शिल्प-संस्कृति-सांस्कृतिक गतिविधियों से रू-ब-रू होने के बाद थकान मिटाने के लिए यहाँ कॉफी की चुस्की और कोई खाना-पान के स्टॉल पर पर चाट-पकौड़े से भूख भी मिटाते भी लोग खूब देखे गये।

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सम्पादक

डॉ. लीना