प्रेस परिषद के मौजूदा सदस्य थे श्री दास
नयी दिल्ली/ भारतीय प्रेस परिषद ने अपने मौजूदा सदस्य पर्वत कुमार दास के निधन पर शुक्रवार को शोक जताया। परिषद की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, “भारतीय प्रेस परिषद अप…
प्रेस परिषद के मौजूदा सदस्य थे श्री दास
नयी दिल्ली/ भारतीय प्रेस परिषद ने अपने मौजूदा सदस्य पर्वत कुमार दास के निधन पर शुक्रवार को शोक जताया। परिषद की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, “भारतीय प्रेस परिषद अप…
‘दलित दस्तक’ नवम्बर की कवर स्टोरी है- बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर की पत्रकारिता यानी ‘मूकनायक’
संजय कुमार /
हालांकि अंबेडकर की पुस्तकों को लेकर पाठकों के आकर्षण की मीडिया चर्चा नहीं करता
संजय कुमार / पटना पुस्तक मेला 2019 में गांधी और अंबेडकर चर्चे में हैं।…
पत्रकार अम्बरीश कुमार की नई पुस्तक “डाक बंगला”
सतीश जायसवाल/ यात्रा अनुभवों ने हमारे रचना साहित्य को अपनी अदेखी-अजानी दुनिया के अमूर्तन को साक्षात उपस्थितियों से भरा-पूरा किया है। वहां पहुंचाया, जह…
पटना / एक अख़बार के स्थानीय सम्पादक को, पूरी सम्पादकीय टीम को, उसके संवाददाताओं को, फलानों ढिमकानों को, पूरे दिनभर या उससे पहले के भी कुछ दिनों में लालबहादुर शास्त्री जी याद नहीं आते ! …
लीना/ पटना / दैनिक भास्कर पटना ने पहले पन्ने पर लीड स्टोरी बनाई गई है तो हिंदुस्तान, पटना ने भी अंदर के पन्ने पर तीन कालम में ठीक-ठाक खबर दी है. और जगह भी खबर है. खबर है- जुगाड़ से तैयार की गई नाव में सवार सांसद रामकृपाल यादव के गड्ढे में गिरने और फिर डूबने से बचने की. तस्वीरें भी है…
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती वर्ष प्रसंग
प्रो. संजय द्विवेदी/ इतिहासकार सुधीर चंद्र की किताब ‘गांधी एक असंभव संभावना’ को पढ़ते हुए इस किताब के शीर्षक ने सर्वाधिक प्रभावित किया। यह शीर्षक कई अर्थ लिए …
जयंती, 25 सितंबर पर विशेष
लोकेन्द्र सिंह/ पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। सादगी से जीवन जीने वाले इस महापुरुष में राजनीतिज्ञ, संगठन शिल्पी, कुशल वक्ता, समाज चिंतक, अर्थचिंतक, शिक्षाविद्, लेखक और पत्रकार सहित कई प्…
तनवीर जाफ़री/ इस समय विश्व का अधिकांश भाग हिंसा, संकट, सत्ता संघर्ष, साम्प्रदायिक व जातीय हिंसा तथा तानाशाही आदि के जाल में बुरी तरह उलझा हुआ है। परिणाम स्वरूप अनेक देशों में आम लोगों के जान माल पर घोर संकट आया हुआ है। मानवाधिकारों का घोर हनन हो रहा है। लाखों लोग विस्थापित होकर अप…
संजय कुमार / जन मीडिया का सितंबर 2019 का अंक कई खास शोध आलेखों से चर्चा में है। टीवी पत्रकारिता की जान ‘एंकर’ पर खास स्टोरी है- 'एंकर नियंत्रित विचार-विमर्श का तंत्र' तो वहीं 'लोकसभा चुनाव 2019 पर सोशल मीडिया का असर' है। ज्वलंत मुद्दा 'जलवायु परिवर्तन पर दक्षिणपंथी मीडिया का नजरि…
मीडिया की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करता जन मीडिया पत्रिका का अगस्त 19 अंक
संजय कुमार/ जन मीडिया का अगस्त अंक यानी 89 वीं में मीडिया शोध की तस्वीर हर अंक की तरह ही ख़ास …
तनवीर जाफ़री/ आपातकाल के समय 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने एक बार देश के चौथे स्तंभ का गला घोंटने का प्रयास करते हुए प्रेस पर सेंसर लागू किया था। इंदिरा गाँधी की इस तानाशाही का पूरे देश में ज़बरदस्त विरोध हुआ था। विपक्ष,मीडिया व देश के आम लोग सभी आपातकाल क…
विश्व पुस्तक तथा कापीराइट दिवस-23 अप्रैल विशेष
निर्भय कर्ण/ विलियम स्टायरान ने कभी कहा था कि ‘एक अच्छी किताब के कुछ पन्ने आपको बिना पढ़े ही छोड़ देना चाहिए ताकि जब आप दुखी हों तो उसे पढ़ कर आपको सुकुन प्राप…
मीडियामोरचा में कैलाश दहिया ने “समकालीन हिन्दी दलित साहित्य: एक विचार विमर्श’’ नाम की पुस्तक की समीक्षा की
अजय चरणम्/…
राजद कार्यकारी सुप्रीमो तेजस्वी यादव ने विपक्ष के नेताओं को लिखा खत
अजय दीप चौहान/ बीते फरवरी महीने में मीडिया के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने वाले राजद के कार्यकारी…
विश्व रेडियो दिवस ( 13 फरवरी) पर विशेष लेख
मनोज कुमार/ एक पुरानी कहावत है कि सौ कोस में पानी और सौ कोस में बानी बदल जाती है और जब नए जमाने के रेडियो की बात करते हैं तो यह कहावत सौ टका खरा उतरती है. भोपाल में आप जिस ए…
इस वर्ष की थीम है-संवाद, सहनशीलता और शांति
आज विश्व रेडियो दिवस है। मनोरंजन और सूचना के लिए मंच उपलब्ध कराने, दूर-दराज के क्षेत्रों में बसे समुदायों के साथसंवाद स्थापित करने और लोगों को सशक्त बनाने में रेडियो की भूमिका को रेखांकित …
दलित और जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए अपनी तरह के इस पहले मीडिया स्कूल की मंत्री थावरचंद गहलोत ने की शुरुआत…
14 सितम्बर 'हिंदी दिवस' पर विशेष
लोकेन्द्र सिंह/ सर्वसमावेशी भाषा होना हिन्दी का सबसे बड़ा सौन्दर्य है। हिन्दी ने बड़ी सहजता और सरलता से, समय के साथ चलते हुए कई बाहरी भाषाओं के शब्दों को भी अपने आंचल में समेट लिया है। पहले से…
डॉ अर्पण जैन 'अविचल'/ है न बिल्कुल अटपटा काम, विचित्र-सा। सैकड़ों लोगों के निधन की खबरें लिखने वाला अदद पत्रकार आज के दौर में क्यों भयाक्रांत है, या कहें पत्रकारिता क्यों अपना स्तर खोते जा रही है, इन सभी सवालों के मूल में समाज तत्व से सरोकार की भावना और चिंतन का गौण होना…
डॉ. लीना