कृष्णेन्द्र राय//
खबर है दिलचस्प ।
खबरों का घोटाला ।।
नजर लगी है तेज ।
लगाओ टीका काला ।।
खबर है पधारी …
कृष्णेन्द्र राय//
खबर है दिलचस्प ।
खबरों का घोटाला ।।
नजर लगी है तेज ।
लगाओ टीका काला ।।
खबर है पधारी …
डॉ. पवन सिंह मलिक/ भारतीय पत्रकारिता में मूल्यों को स्थापित करने में अनेक नामों की एक लंबी श्रृखंला हमको दिखाई देती है। लेकिन उन मूल्यों को अपने जीवन का ध्येय बना पूरा जीवन उसके लिए समर्पित कर देना और उसी ध्येय की पूर्ति के लिए जीवन भर कलम चलाना, ऐसा कोई नाम है तो वो है ‘मा…
प्रखर संपादक माणिकचंद्र वाजपेयी उपाख्य ‘मामाजी’ की 101वीं जयंती (7 अक्टूबर) पर विशेष
लोकेन्द्र सिंह / ‘मन समर्पित, तन समर्पित और यह ज…
पटना/ बिहार के भागलपुर जिले के वरिष्ठ पत्रकार और समाजकर्मी प्रसून लतांत को गांधी भगत सिंह सेवा राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित करने का निर्णय किया गया है। प्रसून लतांत जनसत्ता दैनिक समाचार पत्र के चीफ रिपोर्टर रहे है और गांधी और अहिंसक आंदोलनों के महत्व पर लगातार आलेख लिखते रहे हैं। इन दिनों व…
सरस्वती रमेश //
नोचकारिता के सिपाही हैं ये
बिकाऊ -चलताऊ खबरों पर
गिद्ध दृष्टि रखने और
चील सा झपट्टा मारने…
तारकेश कुमार ओझा //
खबरों की भीड़ में ,
राजनेताओं का रोग है .
अभिनेताओं के टवीट्स हैं .
अभिनेत्रियों का फरेब है .
…मनोज कुमार झा //
विज्ञापन ख़बरों की तरह
और ख़बरें विज्ञापनों की तरह
अख़बार में देश-दुनिया का हाल
कुछ इसी तरह…
रश्मि रंजन//
सोचती हूँ.......
क्या है हमारे विचारों में
क्या है हमारे शब्दों में
क्या है हमारी खबरों में
धर्म/ जाति/ पैसा....…
प्रमोद रंजन / कोविड : 19 ने किताबों के बाजार को गहरा धक्का पहुंचाया है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि वैश्विक स्तर पर 2019 में किताबों का बाजार $ 92.8 बिलियन डालर का था | 2020 में इसके घटकर $ 75.9 बिलियन डालर रह जाने की उम्मीद है।…
.... ये वही मीडिया संस्थान थे, जिन्होंने डब्लूएचओ द्वारा दी गई मानवाधिकारों का ख्याल रखने की सलाह को प्रकाशित करने से परहेज किया था...…
कैलाश दहिया/ दलितों में आज महान मक्खलि गोसाल को ले कर जिज्ञासा पैदा हो गई है। ये जानना चाहते हैं मक्खलि गोसाल कौन थे? क्या वे सही में दलित चिंतक थे? उन का आजीवक धर्म क्या था और उस के सिद्धांत क्या थे? कुछ दलित तो गोसाल के दलित होने पर ही सवाल उठाते हैं। उधर, गोसाल पर लिखने वाले प…
सुरेश हिंदुस्थानी/ राष्ट्रवाद सदैव से चर्चा एवं आकर्षण का विषय रहा है। आज के परिदृश्य में तो यह और अधिक चर्चित है। सब जानना चाहते हैं कि आखिर राष्ट्रवाद क्या है? राष्ट्रवाद पर इतनी बहस क्यों होती है? क्यों कुछ लोग राष्ट्रवाद का विरोध करते हैं? राष्ट्रवाद और मीडिया के…
नाट्य लेखन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए राजेश कुमार को अकादमी पुरस्कार
लखनऊ/ उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने 13 फरवरी, 2020 को संत गाडगे जी महाराज प्…
मातृभाषा ने उठाया हिंदी का सबसे बड़ा साहित्यकार कोश बनाने का बीड़ा, भारत में रहने वाले रचनाकार अपना या अपने शहर के साहित्यकारों, कवियों, लेखकों आदि का परिचय प्रेषित कर सकते हैं…
हिंदी के सभी प्रमुख दैनिक अख़बारों के मुख पृष्ठ ढके हैं .......
चंद्रेश्वर //
बीत रही जो तिथि वो तेईस जनवरी है
दो हज़ार बीस की …
पत्रिका का नया अंक ‘शब्द सत्ता की शताब्दी’
भोपाल। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा संपादित ‘कर्मवीर’ के प्रकाशन के सौ वर्ष 17 जनवरी को पूर्ण हो रहा है और 31 जनवरी को डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा प्रकाशित-सम्पादित पत्रिक…
'जन मीडिया' का जनवरी 2020 अंक
डॉ लीना/ 'जन मीडिया', जनवरी 2020 का अंक काफी खास है। “हमारा समाज, हमारा शोध” पंचलाइन के साथ सालों से हर महीने प्रकाशित होने वाले 'जन मीडिया' के इस अंक में कश्मीर मुद्दा, टीवी चैनलों को सेल्फ सेंसरशिप, बीबीसी के शार्ट …
संतोष कुमार / भारतीय परंपरा से इतर ब्राह्मण की परंपरा में रिश्तों के कोई मायने नहीं होते, यह हमें कामसूत्र और वेद-पुराण के अध्ययन से ज्ञात होता है। इसी भावना से प्रेरित हो ब्राह्मण लेखक अपनी कहानी गढ़ता है। कामसूत्री परंपरा(जारमय) के कड़ी के रूप में 'दे दे प्यार दे' फिल्म तिरोहित…
'कादम्बिनी' पत्रिका के दिसंबर' 2019 अंक में लेखिका चित्रा मुद्गल के आवरण कथा पर कैलाश दहिया की टिप्पणी
कैलाश दहिया / …
पत्रिका "हम बहुजन" का प्रवेशांक सितंबर 2019
डॉ लीना/ सामाजिक , शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक पत्रिका "हम बहुजन" का प्रवेशांक सितंबर 2019, मौजूदा भारत, संवैधानिक अधिकार (आरक्षण) और बहुजन समाज को लेकर पाठकों के बीच आया है। हम बहुज…
डॉ. लीना